लोक अदालत का दुरुपयोग, करोड़ों का मामला निपटाया
निगम की स्थाई संपत्ति पर अधिकारियों ने किया समझौता
छिंदवाड़ा। करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम के इस एपिसोड में हम बात कर रहे हैं कि कैसे नगर निगम के अधिकारियों ने निगम की करोड़ों की स्थाई संपत्ति पर लोक अदालत में समझौता किया। क्या अधिकारियों को इस समझौते का अधिकार था और क्या यह लोक अदालत का दुरुपयोग नहीं है। जिसमें निगम के अधिकारियों ने एक षड्यंत रचकर करोड़ों रुपए की संपत्ति एक रसूखदार को बेच दी । यह एक बड़ा मामला है जिसके 3 एपिसोड हम पहले बना चुके हैं। यह चौथा एपिसोड है जिसमें हमने न्यायालय में कैसे षड्यंत्र रचकर इस मामले को रसूखदार के हक में पहुंचाया गया उसकी जानकारी दी है। समाचार के साथ मौजूद वीडियो में हमने चौथा एपिसोड पर बात की है और यह जानकारी देने का प्रयास किया है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा संचालित लोक अदालत में जहां समझौता योग्य प्रकरणों को आपसी समझौते से सुलझाने का प्रावधान है। वहां क्या सरकार की करोड़ों की संपत्ति पर अधिकारियों को यह अधिकार मिलता है कि वह षड्यंत्र रचकर न्यायालय में चल रहे प्रकरण को लोक अदालत तक पहुंचाएं और वहां समझौता कर ले। यह बड़ा खेल है जिसमें अधिकारियों ने पूरी बिसात रची है और यह मामला न सिर्फ भ्रष्टाचार का है। बल्कि आर्थिक भ्रष्टाचार का भी है। इसी श्रृंखला के पांचवें एपिसोड में हम आपको यह भी बताएंगे कि करोड़ों के गोलमाल के बाद कैसे रजिस्ट्री में भी अधिकारियों ने खेल कर दिया। और सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया फिलहाल देखिए करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम श्रृंखला का चौथा एपिसोड।
Episode – 4
पहले तीन एपिसोड भी इस समाचार के साथ उपलब्ध है…
Episode – 1
Episode – 2
Episode – 3
गोलमाल…अविनाश सिंह
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