व्यापारियों से 2 लाख से 5 लाख तक की मांग
चंदा वसूली के लिए शहर के दो भू माफिया सक्रिय
अधिकारियों कर्मचारियों तक भी पहुंच रही डिमांड
छिंदवाड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड की हकीकत सामने लाकर एक बात साफ कर दी है कि राजनीतिक पार्टियां किस तरह से अलग-अलग तरह के कारोबारी से चंदा ले रही है। छिंदवाड़ा जैसे छोटे जिले में अब तक लोगों ने चुनावी चंदे के मामले केवल फिल्मों में देखे थे और यूपी बिहार का पैटर्न सुना था। कि कारोबारियों से किस तरह से चुनाव में चंदा बटोरा जाता है। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से छिंदवाड़ा शहर के व्यापारियों ने चुनावी चंदे की कहानी को करीब से देखा है। पिछले विधानसभा चुनाव से ही छिंदवाड़ा में चुनावी चंदे की परंपरा शुरू हो गई है। शहर के व्यापारियों से चुनाव से पहले ही चंदा वसूली की जा रही है और यह चंदा हजारों में नहीं बल्कि लाखों में वसूला जा रहा है। विधानसभा चुनाव तक तो ठीक था व्यापारियों ने चुनावी चंदे के नाम पर सहयोग भी किया लेकिन ठीक 4 महीने बाद लोकसभा चुनाव में भी व्यापारियों पर चंदा थोपा गया है। शहर के व्यापारियों से 2 लाख से लेकर 5 लाख रुपए तक की डिमांड चंदे के रूप में की गई है। सूत्रों की माने तो कई व्यापारियों ने साफ कह दिया कि अभी विधानसभा चुनाव में ही चंदा दिया था अब नहीं दे पाएंगे। और कई व्यापारियों ने धमकी से डर कर चंदा पहुंच भी दिया। इस चुनावी चंदे की कहानी को देखकर लगता है कि यूपी बिहार का पैटर्न अब छिंदवाड़ा में भी लागू होने लगा है।
अधिकारी – कर्मचारियों तक भी पहुंच रही डिमांड
चुनावी चंदे की कहानी केवल व्यापारियों तक ही सीमित नहीं है। बल्कि अब चुनावी चंदे की डिमांड जिले भर के अधिकारी कर्मचारियों तक भी पहुंचने लगी है। चुनावी चंदा जमा कर रहे हैं एजेंट सीधे अधिकारी कर्मचारियों को व्हाट्सएप कॉल कर रहे हैं। और व्हाट्सएप कॉल के जरिए चंदे की मांग की जा रही है। कई अधिकारी चंदा देने से साफ मना कर चुके हैं। और इस बात को उजागर करने की धमकी भी दे चुके हैं। लेकिन कई ऐसे कर्मचारी भी हैं जो एजेंट की धमकी से डर कर चंदा दे भी रहे। अधिकारी कर्मचारियों से 50000 से लेकर 2 लाख रुपए तक की मांग की जा रही है यह क्रम पिछले 10 दिनों से शहर में जारी है।
चुनावी चंदा वसूली के लिए दो अलग – अलग एजेंट सक्रिय
चुनावी चंदा वसूली के लिए बाकायदा दो अलग-अलग एजेंट सक्रिय किए गए हैं। एक एजेंट व्यापारियों से चंदा वसूली के लिए शहर में घूम रहा है तो दूसरा जिले भर के अधिकारी कर्मचारी से व्हाट्सएप कॉल कर संपर्क कर रहा है। बड़ी बात यह है कि चुनावी चंदा वसूल रहे यह दोनों ही एजेंट भू माफिया हैं। यह जिम्मेदारी शहर के दो नामचीन भू माफिया को सौंपी गई है। जो लगातार व्यापारियों और अधिकारी कर्मचारियों से संपर्क कर रहे हैं और जो ना नुकुर कर रहा है उससे व्हाट्सएप कॉल पर नेताजी की बात करा रहे हैं।
एसबीआई के इलेक्टोरल बांड ने खोली चंदे की पोल
राजनीतिक पार्टियां किस तरह से कानून बनाकर चंदा वसूल कर रही है। इस बात की पोल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खुली है जब स्टेट बैंक ने इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी जानकारी उजागर की। स्टेट बैंक से किन किन कारोबारियों ने राजनीतिक पार्टियों के लिए इलेक्टोरल बांड खरीदे उन सब का कच्चा चिट्ठा सामने आ चुका है। जिससे यह बात भी पता चली है कि कैसे-कैसे कारोबारी से राजनीतिक पार्टियों ने चंदा वसूल है। हजारों करोड़ों रुपए का यह चंदा आखिर कारोबारी राजनीतिक पार्टियों को क्यों दे रहा है। इस बात पर अब सवाल उठने लगा है ? इस चंदे से कारोबारी को क्या फायदा है जनता यह जानना चाह रही है ?
शहर हलचल सूत्र….अविनाश सिंह
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