50 वें जन्मदिन पर छिंदवाड़ा में थे पूर्व मुख्यमंत्री
अब 28 साल बाद 78 वा जन्मदिन छिंदवाड़ा में
छिंदवाड़ा। 45 साल तक राजनीति में कमलनाथ और छिंदवाड़ा एक दूसरे का पर्याय रहे। 2014 के पहले तक केंद्र में कमलनाथ की प्रमुख भूमिका के कारण मध्य प्रदेश में सत्ता न होने का कोई नुकसान छिंदवाड़ा को नहीं हुआ। छिंदवाड़ा का विकास और छिंदवाड़ा को मिलने वाली सुविधाएं कमलनाथ के चलते लगातार मिलती रही। लेकिन 45 साल तक छिंदवाड़ा मैं अपनी राजनीतिक विरासत को संभाल कर रखने वाले कमलनाथ को लोकसभा चुनाव 2024 में छिंदवाड़ा ने निराश कर दिया। हालांकि एक बार इससे पहले भी कमलनाथ सुंदरलाल पटवा से चुनाव हार चुके हैं । लेकिन इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के 45 साल का साथ दाव पर लगा था । जिसे छिंदवाड़ा ने नाकार दिया और कमलनाथ के बेटे पूर्व सांसद नकुलनाथ को करारी हार का सामना करना पड़ा । यह हार इतनी बड़ी थी की न सिर्फ कमलनाथ इस हार के बाद टूटे हुए नजर आए बल्कि छिंदवाड़ा कांग्रेस भी बुरी तरह से टूट गई। 5 महीने से कांग्रेस छिंदवाड़ा जिले में लगभग गायब ही रही और कांग्रेस के विधायक भी ज्यादा नजर नहीं आए। लेकिन अचानक 18 नवंबर को कमलनाथ का 78 वा जन्म दिवस छिंदवाड़ा में बहुत ही भव्य स्तर पर मनाया जाएगा। इस बार अपने जन्म दिवस पर 28 साल बाद कमलनाथ छिंदवाड़ा में होंगे। 5 महीने के अज्ञातवास के बाद अचानक छिंदवाड़ा में कमलनाथ के जन्म दिवस का भव्य आयोजन कहीं कांग्रेस और कमलनाथ का कमबैक तो नहीं है। क्योंकि अब इस आयोजन के जरिए कमलनाथ निराश हो चुके कांग्रेसियों में एक बार फिर जोश भरने की कवायद करते नजर आ रहे हैं । कमलनाथ के जन्म दिवस पर 18 नवंबर को करोड़ों दिलों की धड़कन कवि डॉक्टर कुमार विश्वास अपनी पूरी टीम के साथ कवि सम्मेलन में शिरकत करेंगे। यह आयोजन अपने आप में बहुत बड़ा आयोजन है। इसके अलावा पूरे शहर को कमलनाथ के जन्म दिवस पर लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार कांग्रेस ने सजाया है। इस आयोजन की रूपरेखा सुनने के बाद लगने लगा है कि कमलनाथ फिर से कांग्रेस में ऊर्जा भरने की तैयारी कर रहे हैं । ताकि कमलनाथ से छिंदवाड़ा का नाता बरकरार रहे। इस आयोजन से कमलनाथ एक बात और छिंदवाड़ा को बताते नजर आ रहे हैं कि वह छिंदवाड़ा के है और हमेशा से छिंदवाड़ा के ही रहेंगे।
दीपक सक्सेना सहित कई पुराने चेहरे नहीं आएंगे नजर
कमलनाथ और कांग्रेस के आयोजनों में 1980 के बाद यह पहला मौका होगा जब कमलनाथ के जन्म दिवस पर होने वाले भव्य आयोजन मैं पूर्व कैबिनेट मंत्री और कमलनाथ के सबसे करीबी माने जाने वाले दीपक सक्सेना सहित कई कांग्रेसी नेता नजर नहीं आएंगे। दरअसल लोकसभा चुनाव के पहले ही दीपक सक्सेना और ऐसे कई कांग्रेसी नेताओं ने बगावत कर भाजपा का दामन थाम लिया और कमलनाथ से दूर हो गए । लोकसभा चुनाव की हार में कहीं ना कहीं कांग्रेस और कमलनाथ से टूट कर भाजपा में गए नेताओं का बड़ा हाथ रहा। लेकिन एक बड़ी बात यह है कि अब तक जितने भी कांग्रेस के बड़े आयोजन हुए ये कांग्रेसी नेता मंच की शोभा बने रहे। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद तस्वीर बदल गई है। अब कमलनाथ एक नई टीम के साथ नजर आ सकते हैं । कांग्रेस में नेताओं की कमी तो हो गई है लेकिन इस आयोजन के बाद कांग्रेस में कई नए चेहरे मंचों पर दिखाई देने की संभावना है। लेकिन अब दीपक सक्सेना सहित कई कांग्रेस के बड़े चेहरे कांग्रेस और कमलनाथ के आयोजनों में दिखाई नहीं देंगे। 45 साल में पहली बार छिंदवाड़ा के की जनता को कमलनाथ के मंच का परंपरागत चेहरा नजर नहीं आएगा।
प्रयास सराहनीय लेकिन डगर अभी बहुत कठिन
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद लोगों के दिमाग में एक बात घर कर गई थी। कि अब कमलनाथ और नकुलनाथ छिंदवाड़ा से विदा हो जाएंगे । हालांकि लोगों की इस सोच को चुनाव हारने के बाद पहली बार कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद नकुलनाथ ने यह कहकर नकार दिया था कि वह बोरिया बिस्तर लेकर कहीं नहीं जा रहे हैं। और वह छिंदवाड़ा में ही रहेंगे । इन पांच महीना में दो से तीन बार कमलनाथ और नकुलनाथ छिंदवाड़ा भी आए । लेकिन कोई खास जोश कांग्रेसियों में नजर नहीं आया । अब कमलनाथ के इस जन्म दिवस पर होने वाले भव्य समारोह के जरिए कमलनाथ का कांग्रेसियों में जोश भरने का प्रयास सराहनीय है । लेकिन कमलनाथ के लिए अब कम बैक की डगर इतनी आसान नहीं है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि वर्षों तक कांग्रेस जिन शहरों को छिंदवाड़ा जिले की शान बताकर ढोती चली आई वे चेहरे अब भाजपा की शान है । कई नेताओं ने जिले भर में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। अब कमलनाथ के लिए सबसे बड़ी चुनौती है यह कि जिले में ऐसे नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देना जिन नेताओं में लोगों को जोड़ने का साहस और दम हो। इसके अलावा कमलनाथ को अब छिंदवाड़ा को 2024 की नजर से देखना होगा । लेकिन फिलहाल ऐसा कहीं नजर नहीं आ रहा है। ले देकर कांग्रेस संगठन में वही चेहरे घूम रहे हैं जिनसे कांग्रेस संभाली नहीं जा सकती । कहीं ना कहीं कांग्रेस के विधायक तक गायब नजर आ रहे हैं। इस स्थिति मैं केवल एक आयोजन कांग्रेस में ऊर्जा भरने का काम कठिन ही दिखाई देता है।
राजनैतिक विश्लेषण कांग्रेस…
…अविनाश सिंह
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