सौसर में 46 प्राइवेट स्कूल, आधे स्टूडेंट भी नहीं आते
एडमिशन स्कूल में और पढ़ाई प्राइवेट कोचिंग में
छिंदवाड़ा/पांढुर्णा। छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिले में प्राइवेट स्कूलों की भरमार है। छिंदवाड़ा जिले के स्कूल तो कम से कम बच्चों की स्ट्रेंथ के कारण चल रहे है। लेकिन पांढुर्णा जिले में सौसर और पांढुर्ना के प्राइवेट स्कूल डमी एडमिशन के दम पर करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि पांढुर्णा जिला अलग होने के बाद भी छिंदवाड़ा जिला शिक्षा विभाग ही पांढुर्णा जिले के शिक्षा विभाग का संचालन कर रहा है। और सौसर और पांढुर्ना के स्कूलों को बिना किसी जांच के स्कूल संचालन की अनुमति प्रदान कर रहा है। जबकि सौसर और पांढुरना दोनों ही शहरों में संचालित हो रहे स्कूलों में आधे से ज्यादा डमी ऐडमिशन है। यह डमी ऐडमिशन जिन बच्चों के हैं वह बच्चे या तो शहर के प्राइवेट कोचिंग क्लासेस में पढ़ाई कर रहे हैं। या फिर बाहर के शहरों में किसी बड़े कोचिंग संस्थान में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। और स्कूल संचालक इन बच्चों की पूरी हाजिरी स्कूलों में लगा रहे हैं। यही से उन्हें 10वीं 11वीं 12वीं जैसी कक्षाओं की परीक्षाएं दिलवा रहे हैं। यह एक बड़ा फ्रॉड है जो छिंदवाड़ा और पांढुर्णा दोनों ही जिलों के कई स्कूलों में संचालित हो रहा है। शिक्षा विभाग बिना जांच के ऐसे प्राइवेट स्कूलों को अनुमति भी प्रदान कर रहा है।
डमी एडमिशन – स्कॉलरशिप का बड़ा खेल
पांढुर्णा जिले के सौसर में लगभग 46 प्राइवेट स्कूल है। जिनमें से कई स्कूल डमी एडमिशन के बदौलत ही संचालित हो रहे हैं। इन स्कूलों में नवमी से लेकर 12वीं कक्षा तक के बच्चों के डमी एडमिशन कराए जाते हैं। और बच्चे या तो शहर के कोचिंग सेंटर में पढ़ते हैं। या फिर बाहर किसी बड़े शहर में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होते हैं। इस बात का खुलासा औचक निरीक्षण से हो सकता है की किस स्कूल में कितने बच्चे पढ़ रहे हैं। और यहां कितने डमी एडमिशन कराया गए। डमी ऐडमिशन करने के लिए स्कूल मोटी फीस वसूलते और अभिभावक अपने बच्चों को बाहर पढ़ाने के लिए इन स्कूलों को मुंह मांगी रकम देकर बच्चों का एडमिशन यहां कर देते हैं। उस पर स्कॉलरशिप भी स्कूल ही रखते हैं। साल भर बच्चों की हाजिरी उपस्थिति के बगैर ही स्कूल में लगती रहती है। यह बच्चे केवल परीक्षा देने इन स्कूलों में पहुंचते हैं। छिंदवाड़ा जिला शिक्षा विभाग में अभी कई स्कूलों की फाइल अनुमति के लिए रखी हुई है और एक-दो दिन में ही ऐसे प्राइवेट स्कूलों को अनुमति भी दे दी जाएगी जबकि यहां कई फर्जी एडमिशन कराए गए।
सौसर में भी तीन बड़े कोचिंग संस्थान इसी के भरोसे
प्राइवेट स्कूल ऑन में डमी एडमिशन करवाने वाले बच्चे या तो शहर के बड़े कोचिंग सेंटर में पढ़ाई करते हैं। या फिर नागपुर कोटा और इंदौर जैसे शहरों में जाकर कोचिंग संस्थानों में एडमिशन ले लेते हैं। और साल भर वहीं पर रहकर पढ़ाई करते हैं। सौसर शहर में भी तीन बड़े 7कोचिंग संस्थान है जिनमें मिडास मोमेंटम और रैंकर्स कोचिंग संस्थानों में नगर के कई स्कूलों के बच्चे डमी एडमिशन लेकर पढ़ाई कर रहे है। स्कूलों में एडमिशन और कोचिंग में पढ़ाई जैसा फर्जीवाड़ा पूरे क्षेत्र में चल रहा है। सौसर और पांढुरना के ज्यादातर रईसों के बच्चे नागपुर कोटा और इंदौर जैसे शहरों में रहकर पढ़ाई कर रहे है। लेकिन उनका एडमिशन शहर के किसी न किसी प्राइवेट स्कूल में कराया गया है। शिक्षा विभाग की टीम इन स्कूलों में जांच करने पहुंचती तो है लेकिन जांच के नाम पर केवल खाना पूर्ति की जाती है और शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों में चाय नाश्ता या लंच करके वापस लौट जाते हैं आज भी बोरगांव के स्कूल में जांच चल रही है जिसे कल स्कूल संचालक की अनुमति बिना किसी भेदभाव के दे दी जाएगी।
फर्जीवाड़ा…अविनाश सिंह
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