Home अपना शहर पांडूर्णा की सभा में ये क्या कह गए प्रदेश के मोहन !

पांडूर्णा की सभा में ये क्या कह गए प्रदेश के मोहन !

सभा में कहा सविधान ने आपको अधिकार दिया है जहां मर्जी वहां वोट करें

इसके पहले एक किसान पूछा था किसको वोट दिया था

क्या छिंदवाड़ा में शुरू हो रही है नई परिपाटी ?

छिंदवाड़ा। चुनाव प्रचार में लगातार छिंदवाड़ा आ रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपने बयानों को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। होटल अकॉर्ड में एक आवेदक से उन्होंने पूछ लिया था कि किसको वोट दिया यह आवेदक अपनी एक समस्या लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंचा था। लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री ने पूछा कि किसको वोट दिया यह बात सुनकर आवेदक हतप्रभ रह गया की वह प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास आया है या किसी भाजपा नेता के पास। उसके बाद पांढुर्णा की एक सभा में 6 अप्रैल को मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्पष्ट कह दिया कि संविधान में सबको समान अधिकार दिया है जिसकी जहां मर्जी हो वहां वोट करें अपने इन बयानों को लेकर छिंदवाड़ा में प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव सुर्खियों में बने हुए हैं।

एकार्ड होटल पहुंचे चौरई क्षेत्र के किसान से पूछा किसको वोट दिया ?

2 अप्रैल को रिकॉर्ड होटल में चौरई क्षेत्र के कुछ किसान मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे। दरअसल यह वह लोग थे जो पेंच माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट शुरू होने के 5 साल बाद भी अपने खेतों में पानी को तरस रहे हैं। दरअसल यह सभी किसान मुख्यमंत्री से इसका काम तेजी से करने का आवेदन लेकर आए थे। लेकिन मुख्यमंत्री ने आवेदन पढ़ने से पहले ही किसान से सवाल दाग दिया कि किसको वोट दिया था। सांसद हमारा नहीं विधायक हमारे नहीं तो काहे का काम ? बात चौरई क्षेत्र में तेजी से फैली। इतना ही नहीं इस मामले में पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने भी पलटवार किया उन्होंने कहा कि लोग मुख्यमंत्री के पास प्रदेश के मुखिया के रूप में पहुंच रहे हैं ना कि पार्टी नेता के रूप में और उनका यह बयान संवैधानिक नहीं है। मुख्यमंत्री की यह बात भी चर्चाओं में बनी रही और इसके वीडियो भी वायरल हुए।

वोट व्यक्तिगत अधिकार, किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता: रिटर्निंग आफिसर

लोकसभा चुनाव के अधिसूचना जारी होने के बाद रिटर्निंग ऑफिसर और जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने पहली प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की। इस दौरान पत्रकारों ने उनसे विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा विधानसभा के गांव शाहपुरा में मतदान न होने की बात पूछी और यह भी पूछा कि यहां जो सरकारी कर्मचारी है उन्होंने भी मतदान नहीं किया था तो क्या इस मामले में इस बार प्रशासन कोई बेहतर कदम उठाएगा। इस सवाल के जवाब में रिटर्निंग ऑफिसर और कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा की वोट देना सभी का व्यक्तिगत अधिकार है और इसके लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया जा सकता चाहे वह सरकारी कर्मचारी ही क्यों ना हो। इसका मतलब साफ है कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी मर्जी से वोट कर सकता है और इसके लिए प्रत्याशी की नापसंद होने पर नोटा का ऑप्शन भी ईवीएम मशीन में दिया गया है लोग नोटा को भी चुन सकते हैं।

क्या छिंदवाड़ा में रही वोट नही तो विकास नहीं की परिपाटी ?

विधानसभा चुनाव के बाद वोट नहीं तो विकास नहीं की बातें कई नेताओं से सुनने को मिली हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या छिंदवाड़ा में वोट नहीं तो विकास नहीं की परिपाटी रही है ? छिंदवाड़ा पूरे देश में एक अलग ही संसदीय क्षेत्र है। जहां हर तरह के लोग निवास करते हैं वास्तविक रूप से छिंदवाड़ा एक ट्राइबल जिला है।जहां सबसे ज्यादा संख्या आदिवासियों की है। और कभी भी छिंदवाड़ा जिले में ऐसी परिपाटी नहीं रही कि किसी से पक्षपात किया जा सके। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के 45 साल का कार्यकाल यह बात दर्शाता है कि यहां चुनाव के बाद हमेशा ही नेता यह भूल जाते थे की कौन किस पार्टी का है। कमलनाथ के ऐसे कई उदाहरण पटल पर मौजूद है 20 वर्षों से भाजपा की सरकार रहने के बाद भी कमलनाथ छिंदवाड़ा के विकास में कभी पक्षपात करते नजर नहीं आए। ऐसे कई उदाहरण छिंदवाड़ा के दस्तावेजों में मौजूद है इतना ही नहीं भाजपा के शासनकाल के 20 वर्षों में केंद्र की कई योजनाएं छिंदवाड़ा जिले को मिली यह भी एक उदाहरण है कि छिंदवाड़ा की परिपाटी कभी भी वोट नहीं तो विकास नहीं कि नहीं रही है।

विश्लेषण…..अविनाश सिंह
9406725725