पहले ही कई नेता पीटते रह गए थे दरवाजा, अब क्या होगा हाल
क्या वरिष्ठ नेता चौधरी चंद्रभान सिंह का विकल्प हैं दीपक
छिंदवाड़ा। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री और कमलनाथ के सबसे करीबी विश्वासपात्र दीपक सक्सेना ने भाजपा का दामन थाम लिया। हालांकि यह उस दिन ही तय हो गया था जब 27 मार्च को पूरी भाजपा सरकार रोहना दरबार में नजर आई थी। दीपक सक्सेना भाजपा में आते ही वरिष्ठ और बड़े नेता बन गए और जैसा कि कांग्रेस की राजनीति पिछले 45 सालों में शिकारपुर के बाद रोना दरबार से चली है वैसे ही अब भाजपा की सियासत रोहना दरबार से चलने की पूरी संभावनाएं बन गई है। दरअसल दीपक सक्सेना बड़े वरिष्ठ नेता है और अपने घर से कम ही निकलते हैं लोग ही उनसे मिलने जाते हैं तो स्वाभाविक है कि भाजपा नेताओं को भी अब रोहना दरबार जाकर दीपक सक्सेना से मुलाकातें करनी पड़ेगी। कांग्रेस में दीपक सक्सेना की विरासत को उनके बड़े बेटे जय सक्सेना निभा रहे थे जहां पिता मौजूद नहीं होते थे वहां जय सक्सेना मौजूद होते थे। लेकिन अब तो भाजपा की पारी शुरू हो रही है। यहां राजनीतिक विरासत बनी ही नहीं है तो उसे कौन आगे बढ़ाएगा। चुनमुन सक्सेना खुद हाल ही में भाजपा में पहुंचे हैं फिर भी कई नेताओं को ओवरलूक करके चुनमुन सक्सेना को मंच मिल गया है। अब दीपक सक्सेना की एंट्री के बाद भाजपा के कितने नेता मंच से नीचे आते हैं यह देखने की बात है।
पूर्व कैबिनेट मंत्री विरुद्ध पूर्व कैबिनेट मंत्री
छिंदवाड़ा जिले में भाजपा का सबसे बड़ा चेहरा आज भी पूर्व कैबिनेट मंत्री चौधरी चंद्रभान सिंह है। चौधरी चंद्रभान सिंह और दीपक सक्सेना का कद लगभग बराबर है। बल्कि चौधरी चंद्रभान सिंह विधानसभा चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। तीन बार विधायक रहने वाले चौधरी चंद्रभान सिंह दो बार कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। दीपक सक्सेना भी चार बार विधानसभा का चुनाव जीते और दो बार कैबिनेट मंत्री रहे लेकिन 2018 का चुनाव जीतने के बाद उन्हें अपनी कुर्सी मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए छोड़नी पड़ गई थी। अब भाजपा में चौधरी चंद्रभान सिंह की स्थिति क्या होगी। हालांकि पिछले 5 सालों में चौधरी चंद्रभान सिंह को जिस तरीके से नजरअंदाज किया गया है। उससे तो यही लगता है कि भाजपा ने दीपक सक्सेना को उनके विकल्प के रूप में गमछा पहनाया है। हालांकि चौधरी चंद्रभान सिंह आज भी जिला भाजपा के सर्वमान्य नेता है।
अभी जो व्यवस्था वहां है मैं उसमे फिट नहीं होता : दीपक सक्सेना
शुक्रवार की रात भाजपा का दामन थामने के बाद भी दीपक सक्सेना ने कमलनाथ के लिए नाराजगी व्यक्त नहीं की। उन्होंने कहा कि अभी वहां जो व्यवस्था है उसमें मैं खुद को फिट नहीं पाता हूं। दीपक सक्सेना का बयान आज कुछ प्रमुख समाचार पत्रों में छापा है। इस बयान को सुनने के बाद अब सवाल यह उठने लगा है कि क्या भाजपा ने दीपक सक्सेना के लिए कोई ऐसी जगह तैयार की है जहां पर वे फिट हो सके या फिर जिले के वरिष्ठ भाजपा नेताओं को दरकिनार कर दीपक सक्सेना के लिए उनके फिट होने लायक कोई कमिटमेंट किया गया है। अगर दीपक सक्सेना कमिटमेंट पर भाजपा में गए हैं तो फिर उन समर्थकों का क्या जो उनके साथ काफिले में नजर आए। और अगर कमलनाथ से कोई नाराजगी नहीं है तो क्या दीपक सक्सेना भाजपा के लिए अपने समर्थकों से वोट मांग पाएंगे।
भाजपा में आते ही कांग्रेसियों को मिली चुनाव की कमान
ठीक लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस नेताओं के पलायन ने उन्हें वर्तमान का सबसे बड़ा नेता बना दिया है। लोकसभा चुनाव में जहां वरिष्ठ भाजपा और वह भाजपा जो पिछले 5 साल सक्रिय रहे दिखाई नहीं दे रहे हैं। जबकि हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में आने वाले कांग्रेसी नेताओं को लोकसभा चुनाव की कमान सौंप दी गई है। हर्रई में राजा कमलेश शाह कमान संभाले हुए हैं। तो चौरई में चौधरी गंभीर सिंह और बंटी पटेल सक्रिय है। पांढुर्ना में अज्जू ठाकुर और प्रवीण ठाकुर लोकसभा चुनाव का कामकाज देख रहे हैं तो वही छिंदवाड़ा में चुनमुन सक्सेना चुनाव की बागडोर हाथ में लिए हुए हैं। इन सब के बीच भाजपा नेताओं को लोग ढूंढ रहे हैं।
जिनसे मिलने करना पड़ता था इंतजार, गमछा पहनने खड़े रहे तीन घंटे
कमलनाथ के करीबी और विश्वासपात्र रहे दीपक सक्सेना का दरबार इतना बड़ा था कि लोगों की लाइन है उनसे मिलने के लिए लगती थी। दीपक सक्सेना से मिलने लोग घंटों इंतजार करते थे। आज वही दीपक सक्सेना ने बीजेपी जॉइनिंग के लिए प्रदेश भाजपा कार्यालय में मुख्यमंत्री या किसी बड़े नेता का लगभग 3 घंटे तक इंतजार किया उसके बाद उन्हें भाजपा की जॉइनिंग दिलाई गई। समय और मानसिकता का फेर है जिन्होंने 45 साल छिंदवाड़ा जिले में अपना परचम लहराया आज वे फिर से जीरो से शुरू कर रहे हैं।
विश्लेषण….अविनाश सिंह
9406725725