Home राजनीति भाजपा में ज्वाइनिंग के लिए समर्थक जुटाने में लगे दीपक सक्सेना

भाजपा में ज्वाइनिंग के लिए समर्थक जुटाने में लगे दीपक सक्सेना

5 अप्रैल को भोपाल में ले सकते हैं भाजपा की सदस्यता

कमलनाथ के इमोशन को भी नकारा, तोड़ेंगे 45 साल का रिश्ता

छिंदवाड़ा। 2 अप्रैल को कमलनाथ के रोहना जाकर दीपक सक्सेना के साथ बात करने के बाद भी बुधवार सुबह से ही दीपक सक्सेना अपने समर्थकों को जुटाने में लग गए हैं। दीपक सक्सेना खुद ही अपने साथियों और उन लोगों को संपर्क कर साथ देने की बात कर रहे हैं जो दीपक सक्सेना के करीबी माने जाते रहे। बुधवार सुबह से ही रोहना दरबार में लोगों की आवाजाही बढ़ गई थी। इसका कारण यह है कि दीपक सक्सेना ने भाजपा ज्वाइन करने के लिए अपने समर्थकों को साथ चलने की पेशकश करनी शुरू कर दी। संभावना है कि 5 अप्रैल को दीपक सक्सेना भोपाल में भाजपा का दामन थाम सकते हैं।
कमलनाथ के लाख मनाने के बाद भी आखिरकार पूर्व कैबिनेट मंत्री और कमलनाथ के सबसे विश्वासपात्र माने जाने वाले दीपक सक्सेना का मन नहीं बदला वे भाजपा में जाने का मन बना चुके हैं। दरअसल दीपक सक्सेना के छोटे बेटे चुनमुन सक्सेना ने पहले ही भाजपा ज्वाइन कर ली है और अब वह भाजपा की हर सभा और हर बड़े नेता और मंत्री के साथ जिले के दौर पर नजर आ रहे हैं। लोगों का मानना था कि दीपक सक्सेना कमलनाथ का साथ नहीं छोड़ेंगे लेकिन ऐसा मानने वालों के दिल टूट सकते हैं। बुधवार सुबह से ही दीपक सक्सेना अपने उन करीबी लोगों को संपर्क कर रहे हैं जो उनके साथ रहे हैं और करीबी माने जाते हैं ताकि दीपक सक्सेना अपने समर्थकों की एक बड़ी फौज लेकर भोपाल पहुंचे और भाजपा का दामन थाम ले।

भाजपा में क्या रहेगा दीपक सक्सेना का कद

दीपक सक्सेना का कद भाजपा में क्या रहेगा क्या उन्हें भाजपा के किसी बड़े पद पर बैठाया जाएगा या उन्हें कोई और लाभ पहुंचाया जाएगा। हालांकि यह तो तय हो गया है की दीपक सक्सेना भाजपा में जाते ही छिंदवाड़ा जिले के कई बड़े नेताओं के ऊपर बैठेंगे। इसका नजारा पहले ही देखा जा सकता है चुनमुन सक्सेना को भाजपा में आते ही बड़ा नेता बना दिया गया है वह मुख्यमंत्री सहित कई मंत्रियों के साथ बैठ रहे हैं। जबकि भाजपा के ऐसे कई नेता है जिनकी पहुंच लोकसभा संभाल रही सांसद कविता पाटीदार तक भी नहीं है। इतना ही नहीं रोहना दरबार में पूरी सरकार एक साथ पहुंच चुकी है। ऐसे में दीपक सक्सेना को भी छिंदवाड़ा जिले में भाजपा हांतो हाथ ले सकती है। लेकिन इससे भाजपा के उन नेताओं पर खासा प्रभाव पड़ सकता है जो पिछले कई वर्षों से भाजपा की सेवा करते चले आ रहे हैं।

25 मार्च को कहा था कमलनाथ के साथ रहूंगा अब मुकरने की तयारी

चुनमुन के भाजपा में जाने के बाद से ही दीपक सक्सेना की भाजपा ज्वाइन करने की अटकलें तेज हो गई थी इसका कारण यह भी है कि दीपक सक्सेना ने चुनमुन के भोपाल निकलते ही कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। लेकिन 25 मार्च को जब कमलनाथ छिंदवाड़ा पहुंचे तो दीपक सक्सेना खुद उनसे मिलने शिकारपुर पहुंचे थे दोनों के बीच आधा पौन घंटे तक लगातार बातचीत होती रही। जब दीपक सक्सेना बाहर आए तो उन्होंने साफ कहा था कि वह कमलनाथ के साथ है और नकुलनाथ को जिताने के लिए रणनीति तैयार करने यहां आए थे। उसके बाद दीपक सक्सेना नामांकन रैली में नहीं पहुंचे और अब अपनी उस बात से मुकरने की तैयारी में लग गए हैं।

कमलनाथ के साथ रहते दीपक को क्या मिला

कमलनाथ के छिंदवाड़ा आने से पहले दीपक सक्सेना राजनीति में आ चुके थे। 1970 में पहली बार दीपक सक्सेना रोहना ग्राम पंचायत के पंच बने। उसके बाद 1975 से 1980 तक दीपक सक्सेना रोहना के सरपंच रहे इसी बीच 1979 में छिंदवाड़ा आए कमलनाथ से दीपक सक्सेना की मुलाकात हो गई थी। यहां से सरपंच दीपक सक्सेना राजनीति में छिंदवाड़ा के दूसरे सबसे बड़े सितारे बनकर उभरने लगे। कमलनाथ ने दीपक सक्सेना को 1984 में जिले में कांग्रेस का सबसे बड़ा नाम लाला सुंदरलाल जायसवाल को हटाकर जिला सहकारी बैंक का अध्यक्ष बनाया। जहां लगभग 20 साल तक दीपक सक्सेना लगातार अध्यक्ष बने रहे। 1990 से लगातार कमलनाथ ने दीपक सक्सेना को 2018 तक छिंदवाड़ा विधानसभा की टिकट दी। सात बार चुनाव लड़े दीपक सक्सेना चार बार 1993, 1998, 2008 और 2018 में छिंदवाड़ा से विधायक चुने गए। हालांकि 2018 में दीपक सक्सेना ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए अपनी सीट छोड़ दी थी। लेकिन अपने चार बार के विधायकी के कार्यकाल में दीपक सक्सेना दो बार पीएचई मंत्री बनाए गए और कैबिनेट मंत्री बने। इतना ही नहीं अपेक्स बैंक के डायरेक्टर के रूप में दीपक सक्सेना ने आठ देशों की यात्रा भी की। यह सभी उपलब्धियां दीपक सक्सेना को कमलनाथ के साथ रहने के कारण मिली। 2018 में मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए विधायकी छोड़ने से पहले दीपक सक्सेना को प्रोटेम स्पीकर भी बनाया गया।

विश्लेषण…अविनाश सिंह

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