जिन्होंने करवाई ज्वाइनिंग वही पिछली कतार में सरके
भाजपा में जाने वाले पहले नेता जिनके घर पहुंची मध्य प्रदेश सरकार
छिंदवाड़ा। एक माह से छिंदवाड़ा के कांग्रेस नेताओं का भाजपा में जाने का सिलसिला जारी था। जिसमें अब थोड़ा ठहराव नजर आ रहा है। या यूं कहें कि कांग्रेस के महत्वाकांक्षी नेता अब भाजपा में हैं। लेकिन हाल ही में भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री दीपक सक्सेना के छोटे बेटे चुनमुन अजय सक्सेना भाजपा में आते ही बड़े नेता बन गए हैं। पिछले एक महीने में जितने कांग्रेसी नेता भाजपा में आए आज चुनमुन सक्सेना के पीछे खड़े नजर आ रहे हैं। यहां तक की अजय चुनमुन सक्सेना ऐसे नेता बन गए जिन्हें भाजपा में आए हुए चार दिन भी नहीं हुए थे और पूरी मध्य प्रदेश सरकार उनके घर दावत पर पहुंच गई। यह बहुत बड़ी बात है कि पिछले एक माह में छिंदवाड़ा के कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा उनमें चुनमुन सबसे आगे निकल गए । मुख्यमंत्री की सभा में मंच पर भी चुनमुन को कुर्सी मिली जबकि कई भाजपा नेता मंच पर खड़े नजर आए। यह बात भाजपा में चुनमुन सक्सेना के बड़े हुए कद को परिलक्षित करती दिखाई दे रहा है।
पूर्व भाजपा नेताओं से ज्यादा रिस्पॉन्स
चुनमुन सक्सेना के रिश्ते नाथ परिवार से लोकसभा चुनाव 2019 से ही बिगड़ गए थे। लोकसभा चुनाव के बाद गाहे बगाहे ही चुनमुन शिकारपुर में नजर आए विधानसभा चुनाव 2023 में भी चुनमुन सक्रिय नहीं रहे। यही कारण है कि चुनमुन ने पहले ही मन बना लिया था कि वह भाजपा में शामिल होंगे। हाल ही में भाजपा में गए तो अपने साथ पूरी टीम लेकर गए अब पहले से भाजपा ज्वाइन करने वाले कांग्रेसी नेता भी चुनमुन के पीछे आकर खड़े हो गए भाजपा में चुनमुन ही अब उन्हें अपने पालनहार दिखाई देने लगे यही कारण है कि चुनमुन का कद भाजपा में अचानक ही बढ़ गया है और उन्हें कई पूर्व भाजपा नेताओं से ज्यादा रिस्पॉन्स मिलने लगा है। हालांकि इसके पीछे उनके पिता पूर्व कैबिनेट मंत्री दीपक सक्सेना के नाम का भी प्रभाव है।
जिन्होंने ज्वाइनिंग कराई, वो मंच पर पीछे खड़े नजर आए
कांग्रेस से भारी मात्रा में नेताओं का पलायन भाजपा में हुआ और उसमे कुछ नेता ऐसे भी है जिनका भाजपा में जाना बड़ा स्वाभाविक है। और उनके पीछे बीसों हजार वोट का जन आधार भी है। इन्हीं जनाधार वाले नेताओं ने अजय चुनमुन सक्सेना को भोपाल ले जाकर उनकी जॉइनिंग बीजेपी में कराई। लेकिन अब हाल यह हैं की चुनमुन सक्सेना उन जन आधार वाले नेताओं से भी आगे निकल गए। जहां मंच पर चुनमुन सक्सेना के लिए कुर्सी छोड़ी जाती है वहीं जनाधार वाले नेता हाथ बंधे मंच पर पीछे खड़े नजर आते हैं। अब देखना यह है कि चुनमुन सक्सेना का या कद भाजपा में कितना बढ़ता है।