Home राजनीति दलबदल – सत्ता से प्रेम या मौकापरस्ती

दलबदल – सत्ता से प्रेम या मौकापरस्ती

Part – 1

पार्टी बदलने वाले आज और चौंकाने वाले नाम आयेंगे सामने

कहीं ये सत्ता प्रेम का पहला फेज तो नही, दूसरे फेज में कौन…?

साहब के करीबियों का लगातार जाना कर रहा किस ओर इशारा

इतने कारोबारी कहां रखेगी भाजपा, शुरू न हो जाए वर्चस्व की लड़ाई

छिंदवाड़ा। जिले में इन दोनों दल बदल करने वालों का दौर चल रहा है जब से भाजपा की सरकार बनी है तब से लेकर अब तक साहब… के कई करीबी माने जाने वाले भाजपा में शामिल हो चुके हैं। क्या यह सत्ता प्रेम है या फिर मौका परस्ती। यह बात अब तक समझ नहीं आई है कि आखिर साहब…के इतने करीबी भाजपा में कैसे जा रहे हैं। कहीं पहले फेस का सत्ता प्रेम तो नहीं और दूसरा फेस सबसे ज्यादा चौंकाने वाला साबित ना हो जाए। अब इस बात की संभावनाएं लगातार बढ़ती जा रही है।

लोकसभा चुनाव के पहले से ही जिले के कई नेताओं या यू कहे की ऐसे कारोबारी जिनको सत्ता की सबसे ज्यादा आवश्यकता है ने भाजपा का दामन थामा है। कई युवा नेता सत्ता प्रेम में भाजपा में शामिल हो चुके हैं और ऐसे कई नाम भी है जो जिनकी राजनीति केवल कमलनाथ की बदौलत चलती रही है। वह भी भाजपा का दामन थाम रहे है। ऐसे कई नाम जिले में है जो अब तक भाजपा का दामन थाम चुके हैं और उनकी राजनीति जमीनी ना होकर केवल कमलनाथ की दम पर चलती रही है। अब सवाल यह है कि जिन नेताओं का जमीन पर अस्तित्व ही नहीं है वह क्यों बीजेपी का दामन थाम रहे क्या यह सत्ता प्रेम है….? क्या यह पार्टी की रीति-नीति से प्रभावित होकर उठाया गया कदम है…? या फिर यह मौका परस्ती है।

कहीं इस तरफ इशारा तो नही कर रहा दलबदल

दरअसल जिन लोगों ने भी अब तक छिंदवाड़ा जिले से भाजपा का दामन थामा है वे कहीं ना कहीं ऐसा कारोबार करते हैं जिसमें उन्हें सत्ता प्रशासन और आका की जरूरत है। लेकिन इस दल बदल का एक दूसरा पहलू भी है जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि सत्ता प्रेम में दल बदल का कहीं यह पहला फेस तो नहीं है…. कहीं यह सोची समझी साजिश तो नहीं है… कहीं यह बीजेपी को कांग्रेस से भरने का षड्यंत्र तो नहीं ताकि जब दूसरे फेस में असली नेता शामिल हो तो उनके समर्थक भाजपा में पहले से मौजूद रहे यह दल बदल जिस तरह से चल रहा है यह इस बात की तरफ भी इशारा करता है।

नगर निगम के दो सभापति, और पूर्व कैबिनेट मंत्री का बेटा भी लाइन में

छिंदवाड़ा में कांग्रेस से भाजपा में जाने वाले नेताओं का काफिला रुक नहीं रहा अब तक चौरई क्षेत्र के युवा नेता बंटी पटेल, पांढुर्णा जिले के कांग्रेस नेता और कारोबारी अज्जू ठाकुर, कोयलांचल क्षेत्र से प्रदेश के प्रवक्ता रहे सैयद जाफर जैसे कई बड़े नाम कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा नगर निगम के 6 पार्षद भी भाजपा में शामिल हो गए लेकिन यहां पर भी दल बदल नहीं रुक रहा आज भी कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गी के सामने नगर निगम के दो सभापति जो कमलनाथ के सबसे करीबी माने जाते हैं भाजपा में जाने की तैयारी कर रहे हैं। इतना ही नहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री का एक बेटा भी आज भाजपा में शामिल होकर सबको चौंका सकता है।

इतने कारोबारी कहां रखेगी भाजपा…?


जिले में जितने लोगों ने भी अब तक कांग्रेस से भाजपा का दामन थामा है उनमें से ज्यादातर ठेकेदार, रेत के अवैध कारोबारी, कंस्ट्रक्शन के कारोबारी, शराब के कारोबारी और सत्ता की आवश्यकता वाले नेता ही शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर नेता जमीनी नहीं बल्कि कमलनाथ के द्वारा बनाए गए नेता हैं। ऐसे कई कारोबारी पहले से ही भाजपा में भी मौजूद हैं। अब एक सवाल सबसे बड़ा यह उठ रहा है कि आखिर सभी अवैध या वैध कारोबारी भाजपा में चले जाएंगे तो इतने कारोबारियों को भाजपा कहां रखेगी। लोकसभा चुनाव के बाद कहीं वर्चस्व की लड़ाई जिले में शुरू न हो जाए। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस बार शराब कारोबार को लेकर ठेकेदारों की टसल ने शराब के ठेके को 376 करोड़ से बड़ाकर 400 करोड़ के पार पहुंचा दिया है। ज्यादातर ग्रुप के ऐसे ठेके लिए गए हैं जिनमें दुकान से शराब बेचने पर कोई फायदा ठेकेदार को नहीं होगा। तो फिर किस आका की दम पर यह ठेके लिए गए। लोकसभा चुनाव के पहले ही यह नजारा पांढुर्णा और छिंदवाड़ा जिले में देखने को मिल गया। लोकसभा चुनाव के बाद जब किसी नेता की सत्ता और संगठन को आवश्यकता नहीं होगी तब क्या होगा कहां जाएंगे यह कारोबारी…?

अविनाश सिंह……