अविश्वास प्रस्ताव के लिए रायशुमारी बनाने छूटे पसीने
नेताओं के लिए 12 बजे रात तक बैठे कलेक्टर
छिंदवाड़ा। नगर निगम के सभापतियों महापौर और पार्षदों के बाद अब भाजपा की नजर नगर निगम के अध्यक्ष पद पर है। हालांकि शासन के एक आदेश के बाद अध्यक्ष पद से भाजपा की नजर कुछ दिन के लिए हट गई थी। लेकिन जैसे ही पता चला कि शासन का आदेश केवल नगरीय निकायों के लिए है। एक बार फिर भाजपा नेताओं की बांछे खिल गई और शुरू हुआ अध्यक्ष पद से सोनू मांगों को हटाने का खेल। इसके लिए बाकायदा भाजपा पार्षद और सभापतियों में रायशुमारी बनाई गई और जिला अध्यक्ष कार्यालय रात 12:00 तक खुला रहा। इतना ही नहीं खुद कलेक्टर रात 12:00 तक नेताओं के साथ बैठे रहे और अविश्वास प्रस्ताव लाने पर मोहर लगी । अब अध्यक्ष के हटने के बाद भाजपा में असली घमासान देखने को मिल सकता है। अध्यक्ष पद के कई दावेदार है जिनमें पुराने दबंग नेता भी शामिल है और नगर निगम के नए पार्षद भी आस लगाए बैठे है। नगर निगम अध्यक्ष का कार्यकाल 8 अगस्त को दो वर्ष का पूरा हो गया था। और पुराने नियमों के अनुसार नगर निगम के अध्यक्ष को 2 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही हटाया जा सकता था। लेकिन अचानक मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश से सबको चौंका दिया। डॉ मोहन यादव सरकार ने एक आदेश जारी किया कि अब नगरी निकायों के अध्यक्ष को 3 साल तक नहीं हटाया जा सकेगा। इस आदेश के बाद भाजपा में निराशा देखने को मिली लेकिन इस आदेश का तोड़ भी जल्द ही निकाल लिया गया। भाजपा नेताओं ने जब आदेश की हकीकत पता लगाई तो पता चला कि यह आदेश केवल नगरी निकायों के लिए है। और फिलहाल नगर निगम क्षेत्र के लिए आदेश आना बाकी है । तो एक बार फिर भाजपा नेताओं की उम्मीदें जाग गई और उन्होंने नगर निगम के अध्यक्ष सोनू मांगों को हटाने की बिसात बिछानी शुरू कर दी। गुरुवार की रात कलेक्टर कार्यालय में भाजपा नेताओं की बैठक चलती रही और देर रात तक कलेक्टर खुद कार्यालय में बैठे नजर आए । आखिरकार अविश्वास प्रस्ताव लाने पर मोहर लगी और संभावना है कि 8 अक्टूबर को नगर निगम अध्यक्ष सोनू बागों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा इसके लिए भाजपा के पास पूर्ण बहुमत भी मौजूद है।
अब अध्यक्ष के लिए रायशुमारी बनाना बड़ी चुनौती
नगरनिगम के अध्यक्ष पद से सोनू मांगों को हटाने के बाद भाजपा नेताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती अगले नगर निगम अध्यक्ष को लेकर होगी । हालांकि इसका विधिवत चुनाव होता है लेकिन भाजपा कोशिश करेगी की सभी पार्षद और सभापतियों में रायशुमारी बन जाए और किसी एक का नाम अध्यक्ष पद के लिए निर्धारित कर लिया जाए। लेकिन यह संभावना कम ही नजर आती है । दरअसल सोनू मांगों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए नगर निगम के पुराने नेता सहमत नहीं थे। उनको मानने में ही भाजपा नेताओं को पसीने छूट गए। हालांकि फिलहाल भाजपा के सभी पार्षद सभापति और पुराने पार्षद नेता अविश्वास प्रस्ताव के लिए तो तैयार हो गए लेकिन अध्यक्ष पद की बारी आने पर भाजपा में कई खेमे नजर आ सकते हैं । हर कोई इस दौड़ में शामिल होने के लिए अपनी जुगत लगाता दिखाई दे सकता है। हालांकि अब तक नेता प्रतिपक्ष कहलाने वाले पार्षद विजय पांडे अध्यक्ष पद के लिए लोकसभा चुनाव के बाद से ही प्रयास कर रहे हैं । अब देखना यह है कि नगर निगम का अध्यक्ष विजय पांडे को बनाया जाता है या फिर भाजपा किसी नए चेहरे को मौका देती है। क्योंकि नगर निगम के हालात अब पहले जैसे नहीं है पुराने नेताओं को सभापति बनने का मौका भी नहीं मिला और साफ दिख रहा है कि कांग्रेसी नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद नजरअंदाज भी किया जा रहा है।
किसका पड़ला भारी किस आका की चलेगी ?
नगरनिगम अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे पहले भाजपा के पुराने शहरी नेता शामिल हैं। जिनमें विजय पांडे, दिवाकर सदारंग, शिव मालवीय प्रमुख चेहरे हैं। इसके अलावा अपनी पत्नियों को पार्षद बनने वाले संतोष राय और अभिलाष गोहर भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं । लेकिन यह सभी पुराने चेहरे एक ही खेमे के हैं। हालांकि सबसे ज्यादा मेहनत विजय पांडे ने की है लेकिन अध्यक्ष पद की दौड़ में भाजपा के किस आका की चलती है यह भी एक महत्वपूर्ण सवाल है ।क्योंकि कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए महापौर से लगाकर सभी सभापति और पार्षद तक भाजपा नेता दीपक सक्सेना के खेमे से शामिल हुए । और कहीं ना कहीं वे भी आस लगाए बैठे हैं की अध्यक्ष पद उनको मिलेगा। इसके अलावा जिला भाजपा अध्यक्ष शेषराव यादव और सांसद विवेक बंटी साहू के भी अपने लोग अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल हैं। अब देखना यह है कि 3 से 4 खेमों में बंटी भाजपा में किस आका की चलती है और कौन अध्यक्ष बनता है। निगम के अध्यक्ष पद का अगला पड़ाव बहुत ही रोचक होने वाला है।
नेताओं के लिए आधी रात तक खुला कलेक्ट्रेट कार्यालय
निगम अध्यक्ष पथ पर अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए नेताओं के बीच रायशुमारी बनाने और उनको मनाने के लिए नेताओं ने कलेक्टर कार्यालय के चयन किया। गुरुवार की रात 12 बजे तक भाजपा के कई नेता , नगर निगम के सभापति, पार्षद और पुराने नेता यहां तक की नगर निगम के कमिश्नर तक कलेक्टर कार्यालय में बैठे रहे । और देर रात तक अविश्वास प्रस्ताव पर मंथन चला रहा। यह नजारा देखने के बाद एक बात जेहन में आई की आम आदमी के लिए कलेक्टर साहब के चेंबर के बाहर एक नोट लिखा हुआ है। जिसमें लिखा है कि मिलने का समय केवल मंगलवार को दिया जाएगा मतलब आम आदमी से कलेक्टर केवल मंगलवार को ही मिलेंगे लेकिन नेताओं के लिए कलेक्टर आधी रात तक कलेक्टर कार्यालय में नजर आते हैं। यह एक बड़ी विडंबना है की आम जनता के लिए बनी सरकार, प्रशासन और जिला प्रशासन में जिले के आल्हा अधिकारी आम जनता से मिलने के लिए सप्ताह में केवल एक दिन का समय तय करते हैं । जबकि नेताओं से आधी रात तक अपने कार्यालय में बैठकर गुफ्तगू करते नजर आते हैं। यह लोकतंत्र में एक शोचनीय प्रश्न निकल कर सामने आया है।
निगम में घमासान…अविनाश सिंह
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