दलालों का सेटअप तगड़ा, बन गए करोड़पति
सामान्य आदिवासी परिवार सालों से भटक रहे
छिंदवाड़ा। आदिवासियों की कीमती जमीनों पर पिछले कई सालों से भूमिया की नजर है। 2018 के बाद से आदिवासियों की जमीनों को सामान्य वर्ग को बेचने की अनुमति लेने वालों की होड़ लग गई है। लेकिन अब यह काम भू माफिया ने और आसान कर लिया है। भू माफिया के दलाल कलेक्टर कार्यालय में सक्रिय है जो 10-20 लाख लेकर आदिवासियों की जमीनों को सामान्य वर्ग को बेचने के की अनुमति आसानी से दिला देते हैं। लेकिन यह काम कलेक्ट्रेट में केवल भूमिया के दलाल ही कर पा रहे हैं। सामान्य आदिवासी परिवार जो स्वयं जमीन बेचने के लिए आवेदन करते हैं। उनके आवेदन रद्दी की टोकरी में पड़े नजर आते हैं। भू माफिया के इशारे पर दलालों की मौज हो गई है। पिछले 1 महीने में आदिवासियों की जमीनों को सामान्य वर्ग को बेचने की अनुमति मिलने के कई मामले सामने आ गए हैं। 100 एकड़ से ज्यादा जमीन इन दिनों आदिवासियों से फ्री होल्ड कर ली गई है। जबकि कई आवेदन वर्षों से कलेक्टर कार्यालय में पड़े धूल खा रहे हैं।
प्रशासन और दलालों का कैसा कनेक्शन आसानी से हो रहे काम
कलेक्टर कार्यालय में भू माफिया के कई दलाल सक्रिय हैं। जिनमें कुछ नाम सुर्खियों में चल रहे हैं। इन दलालों का प्रशासन से ऐसा कैसा तालमेल है कि आवेदन लगते ही एक महीने के अंदर ही आदिवासियों की जमीनों को कन्वर्ट कर फ्री होल्ड कर दिया जाता है। अब यह जमीन किसी को भी बेची जा सकती है। बड़ी बात यह है कि जिस आदिवासी के नाम की जमीन फ्री होल्ड कराई जा रही है वह जमीन पहले ही भू माफिया को बिक चुकी होती है। और बाकायदा इसका एग्रीमेंट पहले ही कर लिया जाता है । जैसे ही जमीन कलेक्टर कार्यालय से फ्री होल्ड होती है वैसे ही उसकी रजिस्ट्री हो जाती है लेकिन यह केवल भूमिया और दलालों के द्वारा ही संभव है। जिन अधिकारियों से मिलने के लिए आम शहरी और विशिष्ट शहरियों को भी वेटिंग में इंतजार करना पड़ता है वह अधिकारी इन दलालों के सीधे संपर्क में हैं और जमीनों की हेर – फेर करने में सक्रिय नजर आ रहे हैं।
एपिसोड – 1…अविनाश सिंह
9406725725
एपिसोड – 2 / क्या कलेक्टर को है जमीन कन्वर्ट करने का अधिकार ?
जल्द ही…