गार्डनिंग के लिए दिया था, अब बन रहा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स
कांग्रेस – भाजपा दोनो पार्टियों के नेता मौन
छिंदवाड़ा। लगातार बदहाली का शिकार हो रही नगर निगम एक तरफ तो अपनी बदहाली का रोना रो रही है। और दूसरी तरफ करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम बेच रही है। यह मामला नया नहीं लगभग तीन से चार साल पहले नगर निगम ने शहर की एक करोड़ों की जमीन को महज 28 लाख रुपए में एक रसूखदार को दे दिया। इतना ही नहीं इस मामले में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही चुप रहे। लेकिन अब इस जमीन पर कांप्लेक्स का निर्माण शुरू हो गया है। जबकि यह जमीन गार्डनिंग और प्लांटेशन के लिए दी गई थी। पिछले 5-7 सालों में नगर निगम ने कई कारनामे किए हैं। जिसमें यह भी शामिल है कि शहर की कई कीमती जमीनों को कौड़ियों के दाम बेच दिया गया। इनमें एक भूमि शामिल है जो खजरी मार्ग पर देव होटल के आगे स्थित है। लगभग 6000 स्क्वायर फीट इस भूमि को नगर निगम ने एक रसूखदार को महज 28 लाख रुपए में बेच दिया और वह जमीन इस रसूखदार को सौंप दी। आखिर ऐसी क्या मजबूरी नगर निगम के सामने थी की नगर निगम ने बेस कीमती जमीन जिसकी बाजार कीमत वर्तमान में लगभग 20 करोड़ से ज्यादा है उसे महज 28 लाख रुपए में बेचा अब यह जांच का विषय बन गया है।
देखें 6 हजार स्क्वेयर फिट जमीन कैसे कोड़ियों के दाम बेचा
एक अधिकारी ने निभाई मित्रता, दूसरे ने रचा खेल
दरअसल यह जमीन जब बेची गई उस समय शहर सरकार के जो अधिकारी मौजूद थे उनके शहर के रसूखदार से गहरे संबंध बताए जा रहे हैं। इन्हीं संबंधों के खातिर पूर्व अधिकारी ने जमीन की बंदर बांट का खेल रचा और दूसरे अधिकारी जो अब कई सालों तक नगर निगम में रहने के बाद रिटायर हो गए हैं। उन्होंने इस जमीन को कौड़ियों के दाम बेचने की पूरी इबारत लिख दी यही कारण है की महज 28 लाख रुपए में करोड़ों की यह जमीन एक रसूखदार को दे दी गई। हालांकि जमीन देने के लिए यह कारण दर्शाया गया कि इस जमीन पर गार्डनिंग और प्लांटेशन किया जाएगा लेकिन अब यहां का नजारा कुछ और है।
गार्डनिग की जगह खड़ा हो रहा कांप्लेक्स
करोड़ों की जमीन कौड़ियों के दाम बेचने का या मामला उस समय प्रकाश में आया जब इस करोड़ की प्रॉपर्टी पर कांप्लेक्स तैयार होने लगा। तब पता चला कि यह नगर निगम की जमीन को पहले ही गार्डनिंग और प्लांटेशन के नाम पर बेच दिया गया है। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जिस जमीन को गार्डन और प्लांटेशन के लिए बेचा गया। उसे जमीन पर कंपलेक्स कैसे तैयार किया जा सकता है। हालांकि कुछ लोगों को कहना है कि मद परिवर्तन कर ऐसा किया जा रहा है। लेकिन करोड़ों की जमीन पर पहले तो भ्रष्टाचार किया गया और बाद में यदि मद परिवर्तन किया भी गया है तो इस खेल को रचने वाले अब कौन लोग इसमें शामिल है। यह एक बड़ा विषय बन गया है क्योंकि इस जमीन से नगर निगम और शासन को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।
अधिकारी – नेताओं की जुगलबंदी से बिगड़े शहर के हालात
नगर निगम को नेता और अधिकारियों ने रुपए कमाने का जरिया बना लिया है। एक तरफ पिछले कई महीनो से नगर निगम इस बात का रोना रो रहा है कि नगर निगम में फंड नहीं है । और कई कर्मचारियों का वेतन तक महीनो तक नहीं किया जा रहा है। और दूसरी तरफ इस तरीके की कई प्रॉपर्टी है जिसको कौड़ियों के दाम बेचा गया है। यह पूरा खेल नगर निगम के अधिकारी और नेताओं की मिली भगत का नतीजा है। जिसके चलते शहर के हालात बिगड़ते जा रहे हैं। नगर निगम आम जनता पर मुनादी कर रही है कि वह प्रॉपर्टी टैक्स और नल टैक्स पटाए वरना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी तरफ करोड़ों की प्रॉपर्टी का दुरुपयोग करने वालों का सहयोग नगर निगम कर रही है। पिछले पांच सात सालों में नगर निगम ने ऐसे कई कारनामे किए जिसमें लोगों को करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाया है। एक मामला तो 2018 के चुनाव में चुनाव का मुद्दा बन गया था। लेकिन बाद में दोनों पार्टी के नेता कैसे सेट हो गए यह बात समझ से परे है। इस मुद्दे को भी आगे के एपिसोड में उठाएंगे।
शहर का सच…अविनाश सिंह
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