वैध खदानों की सीमा का पता नही, जहां दिखी रेत वहीं काम शुरू
एक नेता के नाम पर भी घाटों से वसूल रहे फर्जी रायलटी
Episode – 1
छिंदवाड़ा। पांढुर्णा जिले और छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा सक्रिय अवैध कारोबार में रेत माफिया है। दोनों जिलों में नदियों के घाटों पर जहां पर भी रेत दिखाई देती है रेत माफिया वहां अपनी पोकलेन मशीन उतार देता है। यह पूरा खेल खनिज विभाग और नेताओं की सर परस्ती में चल रहा है। रेत खदानों के सीमांकन का कोई पैमाना तय नहीं है। खनिज विभाग खानापूर्ति के लिए सीमांकन करता है। लेकिन उस रेत खदान के निर्धारित जगह से बाहर जाकर रेत माफिया रेत का उत्खनन कर रहा है। बड़ी बात यह है कि पूरे जिले में जितनी भी नदियां है हर जगह से रेत निकली जा रही है। वैध खदानों के अलावा 100 से ज्यादा ऐसे घाट है जहां रेत माफिया का राज चल रहा है। और खुलेआम रेत निकाल कर फर्जी रॉयल्टी वसूल की जा रही है। पूरे जिले में सक्रिय इस कारोबार पर गाहे बगाहे ही मामूली सी कार्रवाई की जाती है। जबकि रेत को लेकर न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि एनजीटी की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। दोनों जिलों को मिलाकर करोड़ों रुपए का रेत कारोबार सरकारी रेट पर जाता है। लेकिन इसके अलावा नदियों के घाटों पर रेत माफिया का कब्जा है। वैध खदानों के अलावा भी कई घाटों से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। खनिज विभाग इस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई करता नजर नहीं आया है। यह बात साफ नजर आती है कि रेत का यह अवैध कारोबार कहीं ना कहीं रेत माफिया, जिम्मेदार महकमा और नेताओं की मिलीभगत के कारण फल फूल रहा है। हर रेत घाट पर पोकलेन मशीन है जिससे नदियों को छलनी किया जा रहा है।
बारिश के पहले अवैध भंडारण के लिए लगी डंपर ट्रैक्टर की कतारें
1 महीने बाद ही बारिश का आगाज पूरे जिले में हो जाएगा। पहले ही रेत की कीमतें आसमान पर हैं उस पर अब नदियों के घाटों और वैध रेत खदानों में पोकलेन मशीनों से रेत का उत्खनन जोरों पर चल रहा है। इसका कारण यह है कि बारिश में ज्यादातर नदियों में पानी आ जाता है। और एनजीटी के नियमों के अनुसार रेत उत्खनन पर रोक लग जाती है। जिसके चलते रेत माफिया अब रेत के अवैध भंडारण के लिए सक्रिय हो गया है। बड़ी बात यह है की रेत के ठेकेदार को भी भंडारण की अनुमति लेना पड़ता है। लेकिन रेत माफिया अपनी मर्जी से पोकलेन मशीनों के जरिए रेत का उत्खनन कर भंडारण करता है। और फिर बारिश के दौरान ऊंचे दामों पर यह रेत लोगों को बेची जाती है। जिसकी न ही रॉयल्टी सरकार को मिलती है। और ना ही इसका कोई फायदा प्रशासन को होता है। यह अवैध उत्खनन, अवैध भंडारण और फिर ऊंची कीमत पर रेट बेचने का पूरा खेल रेट माफिया और उनके आका की जेब में जाता है।
नेताजी के नाम पर घाटों से फर्जी रायलटी का बड़ा खेल
जिले के एक बड़े नेता के नाम पर नदियों के घाटों से फर्जी रॉयल्टी वसूल करने का खेल भी शहर और अब पूरे जिले में शुरू हो गया है। दरअसल छिंदवाड़ा के आसपास जितने भी नदी के घाट है जहां से ट्रैक्टर से रेट निकलती है। वहां पर नेताजी के दो गुर्गे सक्रिय हैं। यह दोनों ही गुर्गे नेता जी के नाम पर ट्रैक्टर चालकों से फर्जी रॉयल्टी वसूल कर रहे हैं। एक ट्रैक्टर से 500 रुपए लिए जाते और तब उन्हें रेत ले जाने दी जाती है। पहले तो यह काम सिर्फ छिंदवाड़ा शहर के आसपास चंदन गांव परासिया रोड पर चल रहा था। लेकिन अब नेताजी के दोनों गुर्गे के पूरे जिले में गस्त लगने लगे हैं। जहां पर भी रेत का अवैध उत्खनन दिखता है। नेताजी का रौब दिखाकर यह गुर्गे रॉयल्टी वसूल करते हैं। अब इसमें नेताजी का कितना हाथ है यह तो नहीं पता। लेकिन यह दोनों गुर्गे नेताजी के नाम पर जिले में लाखों रुपए की वसूली कर रहे हैं।
पोकलेन मशीन से रेत उत्खनन पर 25 गुना पेनाल्टी का प्रावधान
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के तहत नदी के घाटों और रेत खदानों पर केवल मजदूरों के जरिए ही रेत का उत्खनन कराया जा सकता है। विशेष अनुमति के बाद भी रेत का उत्खनन पोकलेन मशीनों के द्वारा नहीं कराया जा सकता। इसका कारण यह है कि रेत में कई जलीय जंतु और जलीय जीव छुपे होते हैं। जिनसे लाइफ सायकल चलता है। पोकलेन मशीनों से उत्खनन पर जीवों को नुकसान पहुंचता है और एनजीटी के नियमों का उल्लंघन होता है। पोकलेन मशीन से रेत के उत्खनन पर 25 गुना तक पेनल्टी का प्रावधान है। जितनी रेत का उत्खनन किया जाता है उसके 25 गुना कीमत की पेनल्टी पोकलेन मशीन से उत्खनन पर लगाई जाती है। लेकिन जिले में हालात यह है कि यहां न सिर्फ वैध खदानों से पोकलेन मशीनों के जरिए रेत निकली जा रही है। बल्कि अवैध रेत घाटों पर भी माफिया पोकलेन मशीन लगाकर रेत का उत्खनन कर रहा है। बड़ी बात यह है कि खनिज विभाग के सामने ही है पूरा खेल चल रहा है और खनिज विभाग अपने कार्यालय में बैठकर खाना पूर्ति कर रहा है।
अवैध कारोबार… अविनाश सिंह
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