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कलेक्टर पर भड़की जुन्नारदेव की अतिथि शिक्षक

10 माह से नही मिला वेतन, आवेदन देने आई थी कलेक्ट्रेट

शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से बिगड़ा मामला

छिंदवाड़ा। सोमवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने ही परिसर में एक अतिथि शिक्षक छिंदवाड़ा कलेक्टर शीलेंद्र सिंह पर भड़क गई। मामला था अतिथि शिक्षक का 10 माह से वेतन न होना। इस मामले में आवेदन देने कलेक्ट्रेट पहुंची अतिथि शिक्षक और उनके साथियों ने जब कलेक्टर को आवेदन दिया तो कलेक्टर ने आवेदन लेकर अपने पीए को थमा दिया। इस बात से नाराज एक अतिथि शिक्षक ममता परसोई अचानक आग बबूला हो गई और कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को ही बुरा भला कहने लगी। अतिथि शिक्षक ममता ने यहां तक कह दिया कि वह इतनी परेशान हो गई है कि अब आत्महत्या कर लेंगी। जिसकी जिम्मेदारी कलेक्टर पर आएगी। खुलेआम हुई इस बहस के समय कलेक्टर के साथ ही समय सीमा की बैठक से वापस लौटे कई अधिकारी भी उसे समय मौजूद थे। हालांकि कलेक्टर भी शिक्षिका पर नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि आप पहले बात करने का तमीज सीखी है आप जिस तरह से बात कर रही है तो आप स्कूल में क्या पढ़ती होगी उन्होंने शिक्षिका के खिलाफ जांच करने के लिए एक अधिकारी को निर्देशित भी किया है।

10 माह से वेतन नहीं, खाने के भी लाले

आदिवासी अंचल जुन्नारदेव विकासखंड से लगभग 9 अतिथि शिक्षक सोमवार को छिंदवाड़ा पहुंचे थे। यहां उन्होंने कलेक्टर को एक आवेदन देकर अपनी स्थिति से अवगत कराते हुए बताया कि पिछले 10 माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है। हर बार वेतन के लिए वह स्थानीय अधिकारियों से बातचीत करते हैं। लेकिन फिर भी वेतन नहीं मिला जिसके कारण उनकी पारिवारिक स्थिति खराब हो रही है। और वह ठीक से जीवन यापन तक नहीं कर पा रहे हैं। जबकि हर दिन वह बच्चों को शिक्षा देने के लिए स्कूल पहुंचते हैं और अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहे हैं।

ट्राइबल शिक्षा अधिकारियों के रवैए से बिगड़ा मामला

आदिवासी अंचल जुन्नारदेव विकासखंड का मामला शिक्षा से जुड़े अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिगड़ा है। दरअसल क्षेत्र के अतिथि शिक्षक कई बार इस मामले में क्षेत्रीय अधिकारियों से बात कर चुके हैं और हर बार उन्हें जवाब ठीक से नहीं मिला और ना ही वेतन मिला। इस बात से नाराज अतिथि शिक्षक सोमवार को छिंदवाड़ा पहुंच गए और यहां कलेक्टर के सामने अभद्रता शुरू कर दी। हालांकि इस मामले में अतिथि शिक्षकों को कहना है कि उनकी स्थिति खराब है और परिवार चलाने के लिए भी उन्हें एक दूसरे का मुंह ताकना पड़ रहा है जिसके कारण यह हालात बने है।

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