अपनी ही सरकार के वित्त मंत्री को लिखा पत्र, बताया महत्व
कैसा हो कर निर्धारण ये समझना भी जरूरी
छिंदवाड़ा। देश के एक बड़े और गंभीर विषय पर 28 जुलाई को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी के द्वारा वित्त मंत्री को लिखे गए पत्र ने सभी का ध्यान आकर्षित कराया है। हालांकि यह मांग विपक्ष कई वर्षों से कर रहा है लेकिन नितिन गडकरी ने अपनी ही सरकार के वित्त मंत्री को पत्र लिखकर यह बताया है कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा का प्रत्येक परिवार पर क्या असर पड़ता है और इन दोनों में सरकार जो जीएसटी लगा रही है। उस जीएसटी पर एक परिवार कितना बोझ बहन करता है। नितिन गडकरी ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह आमजन के लिए किस तरह से चिंतित है और कर निर्धारण प्रक्रिया में किन बातों का ध्यान रखा जाना सबसे जरूरी है। दरअसल केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ के द्वारा उठाई गई मांग का हवाला देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 28 जुलाई 2024 को एक पत्र लिखा। इसमें उन्होंने लिखा कि नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ ने एक मांग रखी है। और वह बात यह है कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर सरकार जो 18% जीएसटी ले रही है। वह गलत है जो लोग जीवन बीमा स्वास्थ्य बीमा कराते हैं। वह कहीं ना कहीं अपने परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से बीमा कर रहे हैं। इन हालात में बीमा कंपनियों को दी जाने वाली राशि तो बीमा करने वाला व्यक्ति या परिवार वहन करता ही है। इसके अलावा उस बीमा के प्रीमियम पर 18% जीएसटी सरकार को देनी पड़ती है। जिसका बोझ उस व्यक्ति या परिवार पर बहुत ज्यादा पड़ता है। कई बार जीएसटी के कारण लोग अपना जीवन बीमा या स्वास्थ्य बीमा नहीं करा पाते इसलिए इस 18% जीएसटी के मामले में पुनर्विचार कर इस जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा से हटाया जाना चाहिए। नितिन गडकरी ने अपने पत्र में वित्त मंत्री से निवेदन किया है कि जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने के सुझाव पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करें क्योंकि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए नियमों के अनुसार बोझिल हो जाता है।
केंद्रीय मंत्री ने यह लिखा वित्त मंत्री को दिए पत्र में
मैं आपको इस अनुरोध के साथ लिख रहा हूं कि आप नीचे विस्तार से बताए गए मामले में सहयोग करें। नागपुर मंडल जीवन बीमा निगम कर्मचारी संघ, नागपुर ने मुझे बीमा उद्योग से संबंधित मुद्दों के बारे में एक ज्ञापन सौंपा है और उन्हें आपके समक्ष उठाने की मांग की है। संघ द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी वापस लेने से संबंधित है। जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा दोनों प्रीमियम पर 18 प्रतिशत की जीएसटी दर लगती है। जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के बराबर है। संघ को लगता है कि जो व्यक्ति परिवार को कुछ सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को कवर करता है, उससे इस जोखिम के खिलाफ कवर खरीदने के लिए प्रीमियम पर कर नहीं लगाया जाना चाहिए। इसी तरह, चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर 18% जीएसटी व्यवसाय के इस क्षेत्र के विकास के लिए बाधक साबित हो रहा है संघ ने जीवन बीमा के माध्यम से बचत के लिए विभेदक उपचार, स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए आईटी कटौती की पुनः शुरूआत और सार्वजनिक और क्षेत्रीय सामान्य बीमा कंपनियों के एकीकरण से संबंधित मुद्दे भी उठाए हैं। ज्ञापन में प्रत्येक बिंदु को विस्तार से समझाया गया है। उपरोक्त के मद्देनजर, आपसे अनुरोध है कि जीवन और चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को वापस लेने के सुझाव पर प्राथमिकता के आधार पर विचार करें क्योंकि यह वरिष्ठ नागरिकों के लिए नियमों के अनुसार बोझिल हो जाता है, साथ ही उठाए गए अन्य प्रासंगिक बिंदुओं के साथ उचित सत्यापन भी किया जाना चाहिए।
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सार्थक पहल…अविनाश सिंह
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