पेपर लीक हुआ ये भी माना और गड़बड़िया हुई ये भी माना
सीबीआई ने 7 राज्यों से अब तक 53 लोगो को गिरफ्तार भी किया
छिंदवाड़ा। नीट में यूजी परीक्षा में पिछले कई दिनों से चल रहे ड्रामे के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा दोबारा करने से साफ इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी सभी मांगों को खारिज कर दिया जिसमें नीट यूजी परीक्षा रद्द कर दोबारा कराने की मांग की गई थी। इसका दूसरा पहलू देखे तो सुप्रीम कोर्ट में यह बात साबित हुई है की नीट परीक्षा के पेपर लीक हुए। यह बात भी साबित हुई है की परीक्षा में कई गड़बड़ियां भी हुई है। कहीं एसबीआई में रखे पेपर बांटने की जगह केनरा बैंक के पेपर बांट दिए गए। तो कहीं केंद्र बदलने के मामले भी सामने आए। लेकिन लंबी चली बहस के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने यह मान लिया कि जो भी बातें सामने आई है वह नीट यूजी परीक्षा रद्द करने के लिए पर्याप्त नहीं है। पेपर लीक के पर्याप्त सबूत नहीं मिले इसलिए यह माना जाएगा की पेपर लीक व्यापक रूप से नहीं हुआ है । और ऐसे में नीट यूजी परीक्षाएं दोबारा कराने का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि किसी को व्यक्तिगत रूप से कोई समस्या हो तो अपने राज्य के हाईकोर्ट में जाकर मुकदमा कर सकता है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच एक सबसे बड़ी बात क्या है कि देश में लाखों बच्चे नीट यूजी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। पूरे तन मन धन से बच्चे और उनके पैरेंट्स बच्चों की तैयारी में अपना समय देते हैं। और कोशिश करते हैं कि बच्चा बेहतर तैयारी करें और मेडिकल की प्रवेश परीक्षा नीट में पास होकर मेडिकल कॉलेज में दाखिला ले। लेकिन इस तरह की परीक्षा प्रणाली जिस पर एक लंबी बहस छिड़ी और यह भी साबित हो गया कि पेपर लीक हुए थे के बाद क्या ऐसे अभिभावक जिनके बच्चों ने पूरी ईमानदारी से तैयारी की है उनके साथ न्याय हो रहा है। यह सवाल अब उठने लगा है और यह सवाल इतना आम है की हर शहर और हर कस्बे के कई परिवारों के बीच इस पर चर्चा होना जरूरी है।
सब ठीक है तो सीबीआई क्यों कर रही गिरफ्तारियां ?
सुप्रीम कोर्ट में लंबी चली बहस के दौरान यह बातें सामने आई है कि नीट यूजी परीक्षाओं में व्यापक रूप से गड़बड़ियां हुई। पेपर लीक हुए यह भी मान लिया गया। सरकार ने माना कि पेपर लीक हुए कैसे लीक हुए इस पर भी जांच हुई। सरकार ने सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई। आज 24 जुलाई से नीट की काउंसलिंग शुरू हो रही है। इसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सारी अटकलों को विराम देते हुए फिर से परीक्षा कराने की मांगों को खारिज कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि जब सब कुछ ठीक है तो फिर सीबीआई किन लोगों की गिरफ्तारी कर रही है। आखिर यह लोग कौन है जिनकी गिरफ्तारियां की जा रही है। और यह गिरफ्तारियां अकेले पटना या बिहार या राजस्थान से नहीं हो रही बल्कि देश के 7 राज्यों से अब तक सीबीआई ने 53 लोगों को गिरफ्तार किया है। फिर यह कैसे माना गया की पेपर लीक व्यापक रूप से नहीं हुआ। क्या यह नीट क्लीन है ? यह सवाल अभी खड़ा हुआ है। कि जब सीबीआई इतने लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है और गिरफ्तारियां का सिलसिला लगातार जारी है तो फिर क्या यह नीट क्लीन है । यह सवाल उन लोगों के लिए है जो लोग अपने बच्चों से मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवा रहे हैं। यह बात जन-जन तक पहुंचना भी जरूरी है। की हर बार आपके लिए कोई दूसरा नहीं लड़ेगा अपने हक की लड़ाई खुद को ही लड़नी पड़ती है। लोग अपने घरों में बैठकर टीवी पर सुप्रीम कोर्ट लाइव देख रहे हैं। लेकिन कोई इस बात पर स्टैंड नहीं ले रहा की जो हुआ है यह गलत हुआ है और इसकी जिम्मेदारी सरकार और नीट यूजी परीक्षा करने वाली एजेंसी को भी लेनी चाहिए।
कोन है एन टी ए जो करा रही प्रवेश परीक्षाएं ?
नीट यूजी जैसी कई प्रवेश परीक्षाएं सरकार सीधे तौर पर खुद कंट्रोल नहीं करती । बल्कि इन परीक्षाओं को कराने के लिए एक एजेंसी तय की गई है। और यह एजेंसी है एन टी ए, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पूरे देश में नीट यूजी जैसी कई परीक्षाओं को कंडक्ट करती है। और इसके माध्यम से मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे बड़े संस्थानों में बच्चों को प्रवेश मिलता है। लेकिन यह एन टी ए है कौन ? दरअसल सरकार में प्रवेश परीक्षाओं के लिए एक एजेंसी तय कर दी है। यह एजेंसी सीधे तौर पर सरकारी नहीं है यह एजेंसी एक प्राइवेट एजेंसी है। बड़ी बात यह है कि इस एजेंसी के पास खुद के दो दर्जन कर्मचारी भी नहीं है। यह एजेंसी भी पूरे देश में अपने सब एजेंसी- एजेंट के माध्यम से परीक्षाओं की तैयारी और परीक्षाएं कराती है। हालांकि सरकारी एजेंसियां इस पर नजर जरूर रखती है। लेकिन पूरा खेल एन टी ए का है। एन टी ए किस तरह से परीक्षाएं करावेगी यह तय करना एन टी ए का काम है। यह नेशनल टेस्टिंग एजेंसी पर अब सवाल खड़े होने लगे हैं। कि आखिर एजेंसी जो परीक्षाएं कर रही है। वह कितनी पारदर्शी है सुप्रीम कोर्ट में चली बहस के बाद यह बात भी सामने आई की नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने परीक्षा केंद्रों तक रिक्शे में पेपर पहुंचाएं। केनरा बैंक और एसबीआई में पेपर रखे गए लेकिन जहां एसबीआई के पेपर जाने थे वहां केनरा बैंक के पेपर चले गए। आखिर इन सब बातों पर सरकार ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। एन टी ए पूरी तरह से प्राइवेट एजेंसी है और अपनी सब एजेंटीयों के माध्यम से परीक्षाएं कंडक्ट करती है। इतनी व्यापक परीक्षा है जिसमें 15-15 लाख लोग बैठ रहे हैं उन्हें हर शहर में एजेंटों के माध्यम से कराया जा रहा है। यह सरकार की सबसे बड़ी कमजोरी है की सरकार एक ऐसी एजेंसी के भरोसे बैठी है जिसका खुद का कोई सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है।
क्या देश में ईमानदारी से हो रही यूपीएससी, पीएससी ?
मध्यप्रदेश का व्यापम घोटाला जो दबा दिया गया। यूपीएससी एग्जाम में हो रही गड़बड़ियों जिसमें एक आईएएस की बेटी 11 बार यूपीएससी का एग्जाम देती है। पहले जनरल केटेगरी से और फिर दिव्यांग केटेगरी से। और आईएएस बन जाती है । नीट यूजी जैसी परीक्षाएं जिनमे साफ तौर पर या दिखता है कि पेपर लीक हुए । पेपर पहले ही पहुंच गए अब सवाल यह है कि क्या देश में ऐसी परीक्षाएं जो पूरे देश को चलाने वाले ब्यूरोक्रेट्स तैयार करती है। यह परीक्षाएं पूरी ईमानदारी से कराई जा रही है। हम इस बात को सिर्फ आप तक पहुंचा सकते हैं । लेकिन यह सवाल आप सभी के लिए कि देश इस स्थिति में पहुंच गया है कि अब यूपीएससी और पीएसी जैसे परीक्षाओं पर जिसमें देश के ब्यूरोक्रेट्स तैयार होते हैं। सवाल खड़े हो गए की क्या यह परीक्षाएं भी इमानदारी से कराई जा रही है। या फिर इन परीक्षाओं के लिए भी लाखों करोड़ों रुपए कमाकर ऐसे लोगों को आईएएस आईपीएस और एसपीएस अधिकारी बनाया जा रहा है जो उसके लायक ही नहीं। यह सवाल अब सिर्फ उन लोगों के लिए नहीं है जिनके बच्चे तैयारी कर रहे हैं। बल्कि उन युवाओं के लिए भी है जो इन परीक्षाओं के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते हैं । और उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पूरी ईमानदारी से इन परीक्षाओं को करावेगी और उन लोगों को चुना जाएगा जो उसके लायक है। देश का युवा इस तरफ ध्यान नहीं दे रहा । जबकि आज स्थिति से देश गुजर रहा है इन परीक्षाओं के लिए युवाओं को सड़क पर उतरना जरूरी है । तभी ऐसी गलतियों में सुधार होगा और यूपीएससी और पीएससी जैसी परीक्षाओं में पारदर्शिता बरती जाएगी।
एक सवाल… अविनाश सिंह 9406725725