प्रताड़ित वन कर्मी ने आत्महत्या करने की मांगी थी अनुमति
घर में की खुदकुशी, सात दिन बाद मिला शव
छिंदवाड़ा। 2 साल से प्रताड़ना, निलंबन और स्थानांतरण की मार झेल रहे वनकर्मी के आत्महत्या के परवाने पर सीसीएफ और कलेक्टर ने मोहर लगा दी। हाल ही में वन कमी का शव उसके मकान से बरामद किया गया है। बताया जा रहा है कि वन कर्मी ने सीसीएफ से लेकर कलेक्टर तक सभी को अपनी परेशानियों और विभागीय प्रताड़ना की शिकायत की थी। साथ ही प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर लेने की अनुमति मांगी थी। कलेक्टर कार्यालय और सीसीएफ कार्यालय ने मौत के इस परवाने ने पर मोहर तो लगा दी लेकिन वन कर्मी की सुध फिर भी नहीं ली। आखिरकार परेशान बनकर्मी ने आत्महत्या कर ली और उसका शव भी लगभग सात दिन बाद बरामद किया गया। मामला है पश्चिमी वन परिक्षेत्र और उत्पादन का यहां पदस्थित वन पर वन कर्मी लोधी ओमप्रकाश वर्मा पिछले 2 साल से विभागीय अधिकारियों की प्रताड़ना झेल रहा है । विभागीय अधिकारी उसे मानसिक विक्षिप्त बताकर कई तरह से परेशान कर रहे थे। उसका निलंबन किया गया तो मिलने वाला आधा वेतन भी उसे नहीं दिया गया । इतना ही नहीं 2 साल में तीन बार उसका स्थानांतरण अलग-अलग जगह कर दिया गया। 2 साल से वेतन वेतन वृद्धि और प्रमोशन को लेकर वन कर्मी परेशान था। वन कर्मी ने 6 जून को सीसीएफ और कलेक्टर कार्यालय में आवेदन देकर आत्महत्या करने की अनुमति मांगी थी। जिस पर बकायदा दोनों कार्यालय ने मोहर लगाकर आवेदन प्राप्ति की अभिविकृति दी है। वन कर्मी ने उसके द्वारा किए गए सभी पत्र व्यवहार और विभागीय कार्रवाई के आवेदन भी संलग्न किए । लेकिन 6 जून से लेकर अब तक विभाग ने वनकर्मी की सुध नहीं ली यहां तक की कलेक्टर कार्यालय को दिए गए आवेदन पर भी कोई गौर नहीं किया गया। आखिरकार 2 दिन पहले वन कर्मी का शव उसके घर से बरामद हुआ है। बताया जा रहा है कि वन कर्मी ने खुदकुशी की है और जहर खाने से उसकी मौत होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि फिलहाल पोस्टमार्टम की रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है लेकिन वन विभाग की घोर लापरवाही एक वन कर्मी की मौत का कारण बन गई।
आत्महत्या की अनुमति के आवेदन पर भी नहीं जागा प्रशासन
वन कर्मी लोधी ओमप्रकाश वर्मा ने आत्महत्या की अनुमति के लिए केवल वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक के कार्यालय में ही आवेदन नहीं दिया था। बल्कि कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर भी उसने आवेदन दिया जिसमें उसने मांग की कि वह विभागीय अधिकारियों की प्रताड़ना से तंग आ गया है। अब उसका परिवार भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा है। इसलिए उसे आत्महत्या करने की अनुमति दी जाए। दोनों ही कार्यालयों ने आवेदन स्वीकार किया और अभी स्वीकृति प्रदान की। लेकिन आवेदन देने के एक महीने बाद भी ना ही वन विभाग ने वनकर्मी की सुध ली और ना ही कलेक्टर कार्यालय से इस परेशान वन कर्मी की जानकारी ली गई। वास्तव में आवेदन मिलने के बाद जिला प्रशासन को वन कर्मी की समस्याओं को सुनकर उसकी समस्याओं का निराकरण करना और उसको काउंसलिंग देने का काम किया जाना था । लेकिन जिले के अधिकारी अपने कार्यालय में बैठकर केवल सिफारिशी कामों पर ही ध्यान दे रहे हैं। इस तरह के गंभीर मामलों में भी जिला प्रशासन सक्रिय नजर नहीं आ रहा।
वन विभाग के उत्पादन क्षेत्र से कर्मचारी करा रहे तबादले
वन विभाग यूं तो हमेशा ही सुर्खियों में बना रहता है। यहां खुलेआम जंगलों से सागवान की अवैध कटाई और जंगल के अंदर के घाटों से रेत की तस्करी के मामले आम है। लेकिन इस बार वन विभाग वन कर्मियों की प्रताड़ना को लेकर सुर्खियों में है। जहां एक तरफ पश्चिमी वन मंडल से उत्पादन में स्थानांतरित किए गए वन कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली है। तो वही उत्पादन क्षेत्र में अधिकारी की प्रताड़ना से तंग आकर अब तक आधा दर्जन कर्मचारियों ने अपने तबादले करा लिए है। वन विभाग के अधिकारी मनमाने तरीके से काम करने के लिए पिछले कई दिनों से सुर्खियों में हैं। जंगलों से कटाई रोक नहीं पा रहे हैं। अवैध रेत की तस्करी बंद नहीं कर पा रहे हैं। लेकिन कार्यालय में बैठकर कर्मचारियों को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है । वन विभाग में कई कर्मचारी तो मौज उठा रहे लेकिन कई कर्मचारी प्रताड़ना से तंग आकर परेशान हो रहे हैं।
सत्य घटना…अविनाश सिंह
9406725725
नोट – वन विभाग का अगला एपिसोड जल्द।