Home अपना शहर सरकार पर भारी पड़ा दरबार, बमुशिक जीत पाए कमलेश शाह

सरकार पर भारी पड़ा दरबार, बमुशिक जीत पाए कमलेश शाह

मुख्यमंत्री पांच बार आए रात रुके भी फिर भी 3027 वोटो से जीते

कांग्रेस की कमान केवल जीतू पटवारी थामी, बड़े नेता गायब रहे

छिंदवाड़ा। अमरवाड़ा उपचुनाव की मतगणना 20- 20 क्रिकेट मैच जैसी चलती रही। मतगणना में सुबह से लेकर शाम 5:00 बजे तक नेट टू नेट की टक्कर और बीच में कांग्रेस की बढ़त ने सभी की धड़कनें बढ़ा दी। तीन राउंड के बाद कांग्रेस के प्रत्याशी धीरेन शान ने रफ्तार पकड़ी और 15 राउंड तक लगातार बढ़त में रहे। लेकिन सोलवे राउंड से उनकी बढ़त कम होती चली गई। और 18 वे राउंड में राजा कमलेश शाह ने बढ़त बनाई तो बीस वे राउंड में 3027 वोट लेकर राजा कमलेश शाह अमरवाड़ा के विधायक चुने लिए गए। अमरवाड़ा का उपचुनाव इतना आसान नहीं था। परिणाम पर नजर डालें तो वास्तव में अचलकुंड दरबार पूरी सरकार पर भारी पड़ गया। इसका कारण यह है कि जहां एक तरफ कांग्रेस का प्रत्याशी राजनीतिक ना होकर आध्यात्मिक आस्था से जुड़ा हुआ व्यक्ति है। तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री बनने का वादा लेकर मैदान में उतरे कांग्रेस के बागी विधायक राजा कामरेज शाह के चुनाव प्रचार के लिए भाजपा और मध्य प्रदेश सरकार 15 दिनों तक अमरवाड़ा में नजर आई । यहां तक की मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव 15 दिनों के दौरान पांच बार अमरवाड़ा आए और एक रात उन्होंने अमरवाड़ा क्षेत्र में बिताई। इसके अलावा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीडी शर्मा प्रदेश में चुनाव की कमान सामान संभालने वाले बैतूल के विधायक हेमंत खंडेलवाल, प्रदेश की पी एच ई मंत्री संपतिया उईके सहित भाजपा के कई दिग्गज नेता अमरवाड़ा में डेरा जमाए रहे। उसके बाद भी कमलेश शाह को केवल 3027 वोट से जीत मिली। इसके मायने यही है कि पूरी सरकार पर दरबार भरी पड़ गया। जबकि कांग्रेस की तरफ से केवल जीतू पटवारी ही एक कैसे नेता नजर आए जिन्होंने पूरे चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी धीरेन शाह का साथ दिया। तीसरे राउंड के बाद लगातार बढ़त बनाए रहा दरबार मतगणना के दौरान तीन राउंड तक तो राजा कमलेश शाह ने बढ़त बनाई। लेकिन चौथे राउंड के बाद से लेकर लगातार 15 वे राउंड तक कांग्रेस के प्रत्याशी धीरेंद्र शाह आगे चलते रहे। यह वह समय था जब भाजपा नेताओं के चेहरे पर मायूसी साफ नजर आ रही थी। इतना ही नहीं कई बड़े अधिकारी भी मतगणना स्थल से गायब हो गए थे। लेकिन सोलवे राउंड के बाद जैसे ही राजा कमलेश शाह ने बढ़त बनाना शुरू की तो नेताओं की आवाजाही और अधिकारियों की आमद भी बढ़ गई। आखिरकार जो पहले से लग रहा था वही हुआ राजा कमलेश शाह विधायक चुन लिए गए। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले राजा कमलेश शाह ने कमलनाथ का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। इस समय यह चर्चा थी कि राजा कमलेश शाह को मंत्री बनाने की शर्त पर कमलेश शाह ने भाजपा का दामन थामा है। यह बात अच्छी है कि राजा कमलेश शाह की जीत के बाद अब केवल अमरवाड़ा का विधायक नहीं चुना गया है बल्कि जिले को एक मंत्री भी मिलेगा और जिले के विकास को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकेगी। लेकिन यह जीत ब मुश्किल ही राजा कमलेश शाह को मिली है। प्रदेश भाजपा और मुख्यमंत्री खुद अमरवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव की कमान नहीं संभालते तो निश्चित रूप से कमलेश शाह आज विधायक नहीं बन पाते यह बात चुनाव के परिणाम प्रमाणित कर रहे हैं।

धीरेन शाह जिले के सशक्त आदिवासी नेता बनकर उभरे

अमरवाड़ा के उपचुनाव की घोषणा होने के बाद भाजपा के पास तो प्रत्याशी तय था। कि कांग्रेस से भाजपा में आए विधायक राजा कमलेश शाह अमरवाड़ा से भाजपा के प्रत्याशी होंगे। लेकिन कांग्रेस के पास एक भी चेहरा ऐसा नहीं था जिसे कांग्रेस अमरवाड़ा में प्रत्याशी बना सके। भाजपा के कई असंतुष्ट नेताओं से कांग्रेस उम्मीद लगा कर बैठी थी। इस दौरान प्रत्याशी चयन के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया और आखिरकार इस कमेटी ने एक ऐसा नाम समिति के सामने रखा जो अब आने वाले समय में कांग्रेस का एक सशक्त आदिवासी चेहरा है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। क्योंकि अमरवाड़ा में जिस तरह का प्रदर्शन धीरेन शाह ने किया है यह प्रदर्शन कांग्रेस की देन नहीं है , यह कमलनाथ और नकुलनाथ का जादू नहीं चला, बल्कि अचलकुंड दरबार की आदिवासियों में पड़कर अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की एक सामान्य आध्यात्मिक व्यक्ति ने पूरी सरकार को हिला कर रख दिया।

मंत्री बनाना बीजेपी का वादा, विकास को मिलेगी गति

राजा कमलेश शाह तीन बार के विधायक और अब चौथी बार विधायक चुने गए हैं। वे एक वरिष्ठ आदिवासी नेता है इतना ही नही आदिवासियों की आस्था का केंद्र हर्रई जागीर हमेशा से रही । आदिवासी कमलेश शाह को अपना राजा मानते रहे हैं । और यही कारण है कि आज इतने कठिन चुनाव के बाद भी उन्होंने जीत हासिल की। अब भाजपा को अपना वादा निभाना है। जैसा कि राजा कमलेश शाह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा तो उन्होंने मंत्री पद की मांग की ताकि जिले के विकास को गति मिल सके। वर्तमान में जिले की सात विधानसभा सीटों में केवल एक विधायक ही भाजपा का चुना गया । जबकि 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था। अब भाजपा को एक विधायक भी मिला है तो निश्चित रूप से इस आदिवासी नेतृत्व को भाजपा की स्वीकारोक्ति की आवश्यकता है। ताकि जिले को एक मंत्री मिल सके और जिले के विकास को चार चांद लग सके। लोगों का भी यही कहना है कि जिले में अब तक सभी पदाधिकारी कांग्रेस के थे अब एक मौका है की सांसद और एक विधायक कांग्रेस से है सांसद मंत्री नहीं बन पाए लेकिन कमलेश शाह को मंत्री बनना चाहिए तभी जिले के साथ न्याय हो सकेगा।

उपचुनाव विश्लेषण…अविनाश सिंह

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