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डॉ मोहन कैबिनेट का सराहनीय फैसला, शहीद के माता – पिता भी आर्थिक सहायता के हकदार

छिंदवाड़ा का इस ऐतिहासिक फैसले में बड़ा योगदान

माता – पिता को मिलेगी 50% आर्थिक सहायता

छिंदवाड़ा/भोपाल। डॉ मोहन कैबिनेट ने मध्य प्रदेश में शहीद होने वाले मिलिट्री पैरामिलिट्री सहित सेवा से जुड़े हर जवान के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। यह फैसला बहुत सराहनी है। क्योंकि इस फैसले के पहले तक बच्चों का पालन पोषण कर उसे देश की सेवा के लिए पहुंचाने वाले माता-पिता की अनदेखी होती थी। और शाहिद को मिलने वाली हर सुविधा की हकदार केवल उसकी पत्नी ही मानी जाती थी। यहां तक की राज्य आर्थिक सहायता के एक करोड रुपए भी पत्नी को दिए जाते थे। नौकरी भी पत्नी को ही मिलती है। लेकिन अब डॉक्टर मोहन कैबिनेट के मंगलवार को लिए गए फैसले के अनुसार राज्य सहायता से मिलने वाले एक करोड रुपए में से 50% आर्थिक सहायता शाहिद के माता-पिता को भी मिलेगी। और सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले में सबसे बड़ा योगदान दिया है छिंदवाड़ा ने जहां एक माह के भीतर जम्मू कश्मीर में दो जवान शहीद हुए और मुख्यमंत्री इन शहीद जवानों के परिजनों से मिलने यहां पहुंचे। तब पता चला कि अपने बेटे को देश की रक्षा के लिए न्योछावर वाले माता-पिता की अनदेखी हो रही है। मध्य प्रदेश सरकार डॉ मोहन कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक मंगलवार को भोपाल में थी। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए उनमें से एक निर्णय यह भी है कि मध्य प्रदेश के किसी भी मिलिट्री पैरा, मिलिट्री, एयरफोर्स या देश की रक्षा से जुड़े जवान के शहीद होने के बाद जो राज्य आर्थिक सहायता की राशि मध्य प्रदेश सरकार देती है। उस आर्थिक सहायता में से 50% के हकदार अब उस शाहिद के माता-पिता भी होंगे। यानी अब पूरी राशि शाहिद की पत्नी को ना मिलकर शाहिद के माता-पिता को भी आधी राशि प्रदान की जाएगी। यह बड़ा ही ऐतिहासिक फैसला है और इस फैसले से मध्य प्रदेश सरकार की बुजुर्ग परिजनों के लिए गहरी सोच प्रदर्शित होती दिखाई दे रही है।

शहीद की पत्नी को ही माना जाता था आश्रित

मध्य प्रदेश सरकार को ऐसा फैसला लेने की जरूरत क्यों पड़ी। इस बात पर एक बड़ा मार्मिक विश्लेषण है। दरअसल जिन जवानों की हमले या लड़ाई के दौरान मौत होती है। उनकी उम्र बहुत ज्यादा नहीं होती। इसका कारण यह है कि अब तक सेना या रक्षा से जुड़े किसी भी विभाग में मैदानी जवानों का रिक्वायरमेंट 15 साल की नौकरी में ही हो जाता है। इस दौरान वे शहीद हो गए तो कई बार उनके विवाह को बहुत कम समय हुआ रहता है। कई जवानों के बच्चे भी नहीं होते जैसा कि छिंदवाड़ा में हुआ पुलपुलधोह में शहीद हुए जवान कबीर दास के विवाह को 4 साल हुए हैं। और उनकी कोई संतान नहीं थी। लेकिन कबीर दास की एक बुजुर्ग मां अब भी जीवित है। नियम अनुसार शहीद जवान के परिजनों में केवल पत्नी को ही आश्रित माना जाता है। सारी सुविधाएं पत्नी को ही दी जाती है। जबकि जवान के माता-पिता की भूमिका उसके पालन पोषण और शिक्षा के बाद सेवा में भेजने में सबसे ज्यादा है। इस तरह से उसके शहीद होने पर मिलने वाली सहायता केवल पत्नी को दिया जाना माता-पिता के साथ कहीं ना कहीं अन्याय को दर्शाता है। कई बार शहीद की पत्नी पूरी सहायता लेने के बाद अपना ससुराल छोड़ देती है। और माता-पिता जिंदगी भर रोते रह जाते हैं। यही कारण है कि मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य आर्थिक सहायता के 50% राशि अब माता-पिता को देने का फैसला लिया है जो की एक सराहनीय कदम है।

सरकार के इस फैसले में छिंदवाड़ा का बड़ा योगदान

मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले में छिंदवाड़ा का बड़ा योगदान है। दरअसल छिंदवाड़ा में पिछले 1 महीने के दौरान पहले एयरफोर्स के कॉरपोरल विक्की पहाड़े और फिर सीआरपीएफ के जवान कबीर दास जम्मू कश्मीर के अलग-अलग हमले में शहीद हुए। इन शहीदों के परिजनों से मिलने के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव खुद छिंदवाड़ा पहुंचे और राज्य से मिलने वाली सभी सुविधाओं और आर्थिक सहायता भी उन्होंने शहीदों के परिजनों को प्रदान की। इस दौरान यह बात भी सामने आई की शहीद के परिजनों को मिलने वाली लगभग सभी सुविधा केवल उसकी पत्नी को ही दी जाती है। और माता-पिता के लिए कुछ नहीं रह जाता। इस मामले में डॉक्टर मोहन यादव ने पहले ही शाहिद कबीर दास की पत्नी को मिलने वाली एक करोड रुपए की राज्य आर्थिक सहायता में से 20% शहीद की मां को दिए जाने के निर्देश दे दिए थे। लेकिन छिंदवाड़ा में शहीद हुए जवानों के परिजनों की स्थिति को देखते हुए या फैसला पूरे मध्य प्रदेश के लिए लिया गया, की मध्य प्रदेश में रहने वाले किसी भी जवान की शहादत के बाद राज्य आर्थिक सहायता की 50% राशि उसके माता-पिता को दी जाएगी और माता-पिता के जीवित न होने पर पूरी राशि पत्नी को दी जाएगी।

शहीद हुए जवानों की पत्नियों को मिल गई नौकरी

छिंदवाड़ा में शहीद हुए दोनों जवानों के परिजनों का आर्थिक सहायता पहले ही मिल चुकी है। हालांकि कबीर दास की माता को भी आर्थिक सहायता की राशि में से 20% की राशि प्रदान की गई। और सरकार के निर्देश के बाद शाहिद कॉरपोरल विक्की पहाड़े की पत्नी और शाहिद कबीर दास की पत्नी को सरकारी नौकरी प्रदान कर दी गई है। दोनों ही शहीदों की पत्नियों को कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने नियुक्ति पत्र प्रदान कर दिए हैं ।

सराहनीय फैसला…अविनाश सिंह
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