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डॉक्टर ने सड़क पर दिया घायलों को सीपीआर बचा ली पांच की जान

भीषण हादसे के बाद खतरे में थी घायलों की जान, दो की हो चुकी थी मौत

चौरई के डॉक्टर संदीप शर्मा ने निभाया पेशे का कर्तव्य

छिंदवाड़ा। एमबीबीएस करने के बाद एक डॉक्टर को चिकित्सा व्यवसाय शुरू करने के पहले एक हिप्पोक्रेटिक शपथ शपथ दिलाई जाती है। जिसमें यह होता है कि उस चिकित्सक को अपने पेशे के साथ पूरी ईमानदारी से काम करना है और बिना किसी भेदभाव के उसे मरीजों की सेवा के लिए चुना गया है जिसका उसे पालन करना। लेकिन आज के इस दौर में ऐसे डॉक्टर कम ही देखने को मिलते हैं जो बिना आर्थिक हित के किसी की मदद को आगे आएं। यहां तक की निशुल्क स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जा रहे हैं तो उसके पीछे भी कोई ना कोई बड़ा अस्पताल शामिल होता है जहां उस निशुल्क स्वास्थ्य शिविर से मरीजों को भेजा जाता है। लेकिन शुक्रवार की रात चौरई के सामुदायिक अस्पताल में पदस्थ एक चिकित्सक ने अपनी उस शपथ को साकार करते हुए सड़क हादसे में घायल पांच लोगों की जान बचा ली। और उन्हें जीवित अस्पताल तक पहुंचाया। इस डॉक्टर ने किसी मानवता का परिचय नहीं दिया और ना ही उन घायलों पर कोई एहसान किया। लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते इस डॉक्टर ने अपनी शपथ का अक्षरसह पालन किया जो कि आज के दौर में सबसे बड़ी बात है कि आप अपने कर्तव्य की तरफ कितने ईमानदार हो। इस काम के लिए डॉक्टर संदीप शर्मा सराहना के पात्र हैं ऐसे डॉक्टर्स की हमारे जिले को जरूरत है जिनके लिए मानव सेवा ड्यूटी के समय से बडकर है।

शादी समारोह से वापस लौट रहे थे ओमनी सवार

सड़क हादसे की यह घटना चौरई रोड पर रात लगभग 9.30 बजे घटित हुई। चौरई के आगे ग्राम खैरी से एक विवाह समारोह में शामिल होकर वापस लौट रहे छिंदवाड़ा के कुछ युवक ओमनी वेन से छिंदवाड़ा आ रहे थे। इसी दौरान सिहोरा माल और झिलमिली के बीच उनके वाहन की टक्कर एक ट्रक से हो गई। इस भीषण हादसे में लगभग आठ लोग गंभीर रूप से घायल हुए इसी दौरान किसी काम से छिंदवाड़ा आ रहे चौरई में पदस्थ डॉक्टर संदीप शर्मा ने जब सड़क हादसा देखा तो अपना वाहन रोककर सीधे घायलों के पास पहुंच गए। तब तक दो लोग श्याम टाकीज क्षेत्र निवासी इमरान और शिल्टू दम तोड़ चुके थे। जबकि पांच लोग गंभीर रूप से घायल थे और उन्हें तत्काल उपचार की आवश्यकता थी। डॉक्टर संदीप शर्मा ने घटनास्थल पर ही तीन-चार लोगों की जान तत्काल सीपीआर देकर बचाई और एंबुलेंस के आते तक उनकी सेवा करते रहे। बाद में घायलों को एंबुलेंस की सहायता से जिला अस्पताल शिफ्ट किया गया है।

जिला अस्पताल में खाना पूर्ति, क्लिनिक में बेहतरीन इलाज

छिंदवाड़ा जिले में जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज मिलाकर सैकड़ो डॉक्टर मौजूद है। और अब तो मेडिकल कॉलेज के थर्ड ईयर से लेकर फिफ्थ ईयर तक 300 डॉक्टर और सेवा कर रहे हैं। लेकिन ज्यादातर देखने में आता है कि चिकित्सक जिला अस्पताल में केवल खाना पूर्ति करने आते हैं और जब उन्ही चिकित्सकों के पास आप उनके निजी क्लीनिक या उन अस्पतालों में जहां वह सेवाएं दे रहे हैं जाते हैं तो आपको बेहतर इलाज मिलता है। कई मामलों में तो यह भी देखा गया है कि चिकित्सक जिला अस्पताल से मरीजों को प्राइवेट अस्पताल में जाने की सलाह देते हैं और फिर वही चिकित्सक प्राइवेट अस्पताल में इस मरीज का बेहतर इलाज करता है। ऐसे कई उदाहरण शहर में मौजूद है जहां चिकित्सकों ने अपने पेशे को रुपए कमाने का जरिया बना रखा है। विडंबना इस बात की है कि इन चिकित्सकों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती कई बार खबरें छपती है और फिर मामला रफा दफा हो जाता है। पहले तो एक प्रशासनिक अधिकारी का दबाव भी जिला अस्पताल पर होता था लेकिन अब तो वह भी गुजरे जमाने की बात हो गई है।

विश्लेषण…अविनाश सिंह
9406725725