Home धर्म पाकिस्तान के बलूच भी करते हैं हिंगलाज माता की पूजा

पाकिस्तान के बलूच भी करते हैं हिंगलाज माता की पूजा

काठियावाड़ राजाओं के वंशज लेकर आए माता की प्रतिमा

हजारों कलश से जगमगाता है हिंगलाज मां का दरबार

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा जिले के गुड़ी अंबाडा क्षेत्र में स्थित मोआरी खदान के पास मौजूद हिंगलाज माता की बड़ी महिमा है। लेकिन वास्तव में हिंगलाज माता का मुख्य मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित है और यहां रहने वाले बलूच भी माता का बड़ा आदर करते हैं । बलूच माता को अपना पूर्वज मानते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान मैं मुस्लिम भी माता की पूजा अर्चना करते हैं और अपने हर मांगलिक कार्यों में माता के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद ही उस कार्य की शुरुआत करते हैं। हिंगलाज माता का मुख्य मंदिर बलूचिस्तान में स्थित है । कहा जाता है कि माता सती का सिर यहां पर गिरा था। इसके बाद हिंगलाज माता के इस मंदिर की उत्पत्ति हुई । 51 शक्तिपीठों में हिंगलाज माता का मंदिर भी एक प्रमुख शक्तिपीठ है। और सती माता का सिर गिरने के कारण इसकी अलग ही महिमा है। बलूचिस्तान में मौजूद माता मंदिर की इतनी ख्याति है कि यहां रहने वाले बलूच माता को अपना पूर्वज मानते हैं। इस मंदिर का एक नाम नानी मंदिर भी रखा गया है। बलूच अपने हर प्रमुख काम से पहले माता के दरबार में हाजिरी लगाते हैं और यहां पूजा अर्चना करते हैं। वैसे तो बलूचिस्तान एक अलग देश था और इस देश का द्रविडों से संबंध था। लेकिन पाकिस्तान ने दबाव बनाकर बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिला लिया तब से बलूचिस्तान पाकिस्तान का एक हिस्सा है।

काठियावाड़ राजाओं के वंशजों ने स्थापित की प्रतिमाएं

ऐसा माना जाता है कि पूरे विश्व में हिंगलाज माता का केवल एक ही मंदिर है। जो बलूचिस्तान में मौजूद है लेकिन छिंदवाड़ा जिले के कोयलांचल में भी माता हिंगलाज का मंदिर मौजूद है । और यह देश का एकमात्र मंदिर माना जाता है । इस मंदिर के बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि हिंगलाज माता काठियावाड़ राजाओं की कुलदेवी है और जब काठियावाड़ राजाओं के वंशज अपनी जीविका के साधन जुटाने इधर आए तो वह अपनी कुलदेवी भी साथ लेकर आए । इन्हीं वंशजों ने अंबाडा के मोआरी में हिंगलाज माता मंदिर की स्थापना की। लेकिन इस मंदिर को ख्याति बहुत बाद में मिली और आज छिंदवाड़ा जिले में स्थित हिंगलाज माता का यह मंदिर पूरे देश में विख्यात है । हजारों मनोकामना कलश दोनों नवरात्रि में इस मंदिर में जगमगाते हैं। शारदेय नवरात्र व चैत्र नवरात्र में लाखों लोग हिंगलाज माता के दर्शन करने के लिए हिंगलाज पहुंचते हैं । इस मंदिर की देखरेख पहले मोआरी खदान का प्रबंधन करता था। लेकिन अब यहां ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता पड़ गई है क्योंकि मोआरी खदान बंद हो चुकी है।

3000 से ज्यादा मनोकामना कलश से जगमगाता है दरबार

कोयलांचल में स्थित हिंगलाज माता के मंदिर में दोनों नवरात्रि में मनोकामना कलश स्थापित करने का विशेष महत्व है। सबसे ज्यादा मनोकामना कलश चैत्र नवरात्र में हिंगलाज माता मंदिर में स्थापित किए जाते हैं। इस नवरात्रि में यहां लगभग 4500 से ज्यादा मनोकामना कलश स्थापित होते हैं। वही शारदेय नवरात्र में कलश की संख्या कम होती है लेकिन फिर भी इस बार भी 3500 से ज्यादा कलश स्थापना हिंगलाज माता मंदिर में की गई है। पूरे 9 दिन इस मंदिर प्रांगण में सुबह शाम भंडारा चलता है । दूर दराज से आने वाले लोगों को यहां भोजन की कोई समस्या नहीं होती। जिसके चलते पूरे देश में दूर-दूर तक लोग इस मंदिर में माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। हिंगलाज माता की जो प्रतिमाएं यहां मौजूद है वह प्रतिमाएं भी अति प्राचीन हैं। इनकी स्थापना कब की गई है इस बात की जानकारी भी लोगों को नहीं है। अब आवश्यकता है कि पुरातत्व विभाग से इन मूर्तियों की प्राचीनता के संबंध में साक्ष्य जुटाए जाने की। ताकि जिले की जनता को यह पता चल सके की हिंगलाज माता के मंदिर में स्थापित हिंगलाज माता की प्रतिमाएं कितनी पुरानी है।

नवरात्र विशेष…अविनाश सिंह
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