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Collector in action – आते रहे कलेक्टर साहब तो सुधर जाएं हालत !

अचानक जिला अस्पताल पहुंचे कलेक्टर तो मचा हड़कंप

गैलरी में जमीन पर पड़ा मिला मरीज, सफाई पर फटकार

छिंदवाड़ा। जिला अस्पताल में पहले चूहों की मार फिर जिला अस्पताल की छत पर सुरक्षा को सेंध लगाते प्रेमी जोड़े की रासलीला। और जिला अस्पताल की अव्यवस्थाओं के बीच पिछले एक सप्ताह से चल रही उठा पटक के बाद आखिर शुक्रवार को कलेक्टर शीलेंद्र सिंह अचानक जिला अस्पताल पहुंच गए। कलेक्टर के एक्शन में आते ही जिला अस्पताल में हड़कंप मच गया और लोगों की जुबान से एक ही बात निकली कि यहां आते रहे कलेक्टर साहब तो सुधर जाएंगे जिला अस्पताल के हालात। दरअसल पिछले लगभग 10 दिनों से जिला अस्पताल लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। पहले चूहों के द्वारा मरीजों के पैर कुतरने का मामला सुर्खियों में आया तो उसके बाद जिला अस्पताल की छत पर एक प्रेमी जोड़ा संदिग्ध हालत में मिल गया। इन घटनाओं ने जिला अस्पताल को लगातार सुर्खियों में रखा। जिससे यहां की कमियां तो उजागर हुई इसके साथ ही कलेक्टर शीलेंद्र सिंह को यह बात समझ में आई की जिला अस्पताल प्रबंधन लगातार लापरवाही बरत रहा है। डॉक्टर समय पर जिला अस्पताल नहीं पहुंचते और समय होने से पहले ही निकल जाते हैं। यह शिकायत भी कलेक्टर तक पहुंची । इस बीच कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने तीन बार जिला अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल डीन सहित जिला चिकित्सा अधिकारी के साथ बैठक लेकर व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए थे। इन निर्देशों के बाद कितना सुधार आया है देखने जब कलेक्टर शुक्रवार को जिला अस्पताल पहुंचे तो यहां का नजारा देखकर उन्होंने नाराजगी व्यक्त की। कलेक्टर के पहुंचते ही एक मरीज गैलरी पर जमीन में पड़ा कराहता नजर आया। जिसे तत्काल उन्होंने स्ट्रेचर पर डलवा कर वार्ड में शिफ्ट कराया। इसके अलावा जिला अस्पताल में साफ सफाई और वार्डों की व्यवस्थाओं को लेकर भी कलेक्टर ने मौजूद सिविल सर्जन आईएमओ और हॉस्पिटल मैनेजर को हिदायत दी है। कलेक्टर के पहुंचते ही इलाज में तेजी आ गई और वार्डों में स्टाफ सहित डॉक्टर भी सक्रिय नजर आने लगे। जिसे देखकर मरीजों के परिजनों का कहना था कि कलेक्टर साहब ऐसे ही लगातार जिला अस्पताल में आते रहे तो जिला अस्पताल के हालात पहले से बेहतर हो जाए।

देखें कलेक्टर का निरीक्षण….

सैकड़ों डॉक्टर फिर भी प्राइवेट अस्पताल पर भरोसा

शहर में कई बड़े-बड़े अस्पताल खुल गए हैं। जहां के चार्ज नागपुर के बड़े अस्पतालों से भी ज्यादा है। लेकिन फिर भी इन अस्पतालों में डॉक्टर मौजूद नहीं है। रात में तो इन अस्पतालों में केवल आयुर्वैदिक डॉक्टर ड्यूटी निभाते नजर आते हैं। जबकि जिला अस्पताल में रात में भी दो विशेषज्ञ चिकित्सकों के अलावा लगभग आधा दर्जन डॉक्टरों की टीम मौजूद रहती है। जो मरीज को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करा सकती है। लेकिन रात में जब किसी को मेडिकल इमरजेंसी आती है तो सबसे पहले लोग प्राइवेट अस्पतालों की तरफ भागते हैं। जबकि वहां पर केवल आयुर्वेदिक चिकित्सक रात की ड्यूटी निभा रहा होता है। और कई बार प्राइवेट अस्पतालों के पास इमरजेंसी चिकित्सक की व्यवस्था भी नहीं होती। लेकिन जिला अस्पताल के हालात यह है कि इतनी सुविधा होने के बाद भी लोग जिला अस्पताल के उपचार पर भरोसा नहीं जाता पा रहे हैं। यह केवल जिला प्रशासन की नाकामी नहीं है बल्कि मध्य प्रदेश सरकार और आयुष्मान योजना लाने वाली केंद्र सरकार पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है। कि आखिर जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के सैकड़ो डॉक्टर होने के बाद भी जिला अस्पताल में बेहतर उपचार की व्यवस्था क्यों नहीं हो पा रही है।

मौजूद है हर सुविधा और विशेषज्ञ चिकित्सक

जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज में उपचार की लगभग हर सुविधा मौजूद है। यह सीटी स्कैन से लेकर ब्लड टेस्ट की हर सुविधा उपलब्ध है। यहां तक की जिला अस्पताल में लगभग हर बीमारी के विशेषज्ञ चिकित्सक भी उपलब्ध है। जो चिकित्सक जिला अस्पताल में नहीं है। मेडिकल कॉलेज में हर बीमारी से संबंधित विशेषज्ञ उपलब्ध है जो जिला अस्पताल में सेवाएं देते हैं। इतना ही नहीं मरीज की आवश्यकता के अनुसार चिकित्सकों को कॉल पर बुलाया जा सकता है। यह सुविधा भी जिला अस्पताल में मौजूद है। इसके अलावा जिला अस्पताल में कम से कम एमबीबीएस डॉक्टर पेशेंट को अटेंड करता है। जबकि शहर के किसी भी प्राइवेट अस्पताल में रात में एमबीबीएस डॉक्टर नाइट ड्यूटी नहीं करता। यह एक बड़ी विडंबना है कि जहां सारी सुविधाएं मौजूद है वहां पर भी इलाज में कोताही बरती जा रही है। सरकार ने हर सुविधा मुहैया कराई है। फिर भी जिला अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल कॉलेज मरीजों को विश्वास दिलाने में नाकाम साबित हो रहा है कि यहां बेहतर इलाज हो सकता है।

निरीक्षण से लोगों को जागी सुधार की उम्मीद

कलेक्टर शीलेंद्र सिंह के जिला अस्पताल में दौरे के बाद जब दिव्य भारत समाचार ने वहां मौजूद मरीज के परिजनों से बातचीत की तो उनका कहना था कि कलेक्टर साहब बिस्तर लगातार जिला अस्पताल में निरीक्षण करने आते रहे तो निश्चित रूप से गरीबों का इलाज बेहतर हो सकता है। यहां डॉक्टर समय पर उपलब्ध हो सकते हैं और जिन इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल की तरफ भागना पड़ता है वह इलाज भी जिला अस्पताल में संभव हो जाए। यह बात सच भी है कलेक्टर जैसे अधिकारी के आने से पूरा महकमा सक्रिय हो जाता है। जिला अस्पताल प्रबंधन से लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तक जिला अस्पताल में सक्रिय होकर उपचार करता नजर आने लगता है। कलेक्टर इसी तरह लगातार समय-समय पर जिला अस्पताल का निरीक्षण करते रहे तो मरीज को बेहतर उपचार के साथ ही जिला अस्पताल की सुविधाओं और जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं में भी सुधार हो सकता है।

विश्लेषण….अविनाश सिंह
9406725725