कीमतों पर आबकारी विभाग का कंट्रोल खत्म
ठेकेदार की मर्जी से चल रही दुकानें, गुंडई हावी
एपिसोड – 1(स्टिंग ऑपरेशन)
छिंदवाड़ा/पांडूर्णा। छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिले मैं शराब का कारोबार 400 करोड़ के करीब पहुंच गया है। ठेकेदारों ने महंगी शराब दुकान तो ले ली लेकिन अब शराब दुकानों पर ओवर रेट और अंडररेटेड का बड़ा खेल शुरू हो गया है। महंगी अंग्रेजी शराब को कम कीमत में बेचने की होने लगी पड़ी है। तो सस्ती देसी शराब ओवर रेट में बेची जा रही है। यह खेल पूरे जिले की शराब दुकानों में चल रहा है। शहर में तो हाल यह है की हर दूसरी दुकान में शराब की अलग कीमत है। कहीं एक बोतल शराब हजार रुपए की है तो कहीं वही बोतल 700 रुपए में भी मिल जाती है। बड़ी बात यह है कि आबकारी विभाग इस पूरे मामले में आंख पर पट्टी बांधकर बैठा है। हाल ही में रामाकोना की शराब दुकान में किए गए एक स्ट्रिंग ऑपरेशन से पता चला कि देसी शराब अधिकतम कीमत से 20 से 25 रुपए ज्यादा कीमत में बेची जा रही जबकि शराब की न्यूनतम और अधिकतम कीमत विभाग तय कर देता है। शराब न्यूनतम कीमत से कम में नहीं बेची जा सकती और अधिकतम कीमत से ज्यादा में नहीं बेची जा सकती। इन दोनों ही कीमतों का शराब कारोबार में बड़ा महत्व है। लेकिन यहां तो कहानी ही उलट है ठेकेदार खुद तय कर रहा है कि शराब को किस कीमत में बेचा जाना है। इतना ही नहीं यह कारोबार जो सरकारी दुकानों से संचालित हो रहा है वह तो अपनी जगह है। इसके अलावा अवैध कारोबार भी बराबरी से चल रहा है और कई क्षेत्रों में गुंडे हावी है।
देशी शराब की अधिकतम कीमत से 22 – 25 रुपए ज्यादा ले रहे
स्टिंग आपरेशन का वीडियो
पांढुर्णा जिले की रामाकोना शराब दुकान को लेकर पिछले एक हफ्ते से बवाल मचा हुआ है। पहले तो यहां शराब की कीमत पर हंगामा हुआ और मारपीट तोड़फोड़ हमले जैसी घटनाएं घटित हुई। उसके बाद इस दुकान की जगह को लेकर सौसर में विवाद चल रहा है। इतना ही नहीं इसी दुकान का एक स्ट्रिंग ऑपरेशन का वीडियो भी वायरल हुआ है। जिसमें साफ नजर आ रहा है कि देसी शराब का क्वार्टर अधिकतम कीमत से भी 22 से 25 रुपए ज्यादा कीमत में बेचा जा रहा है। जबकि यह आबकारी नियमों के पूरी तरह से खिलाफ है। आबकारी नियमों के अनुसार शराब की नियत कीमत से कम और उससे ज्यादा कीमत में शराब बेची नहीं जा सकती। ऐसा करने पर ठेकेदार का लाइसेंस तक निरस्त किया जा सकता है। लेकिन बड़ी बात यह है कि छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिले का आबकारी विभाग छिंदवाड़ा आबकारी ही संचालित कर रहा है और शराब की कीमतों को कंट्रोल करने मे पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा है। इस वीडियो में यह साफ नजर आ रहा है की दुकानों में ठेकेदार अपनी मर्जी से शराब की कीमतें तय करके बेच रहे हैं।
कंपीटीशन में शराबियों की मौज, अंग्रेजी शराब अंडर रेट
शराब दुकानों के 30 परसेंट तक महंगे ठेके ठेकेदारों ने उठा लिए। अब हाल यह है कि पूरे जिले में ठेकेदारों का कंपटीशन चल रहा है। ज्यादा से ज्यादा शराब बेचने की होड़ में अंग्रेजी शराब अंडर रेट बिकने लगी। हर दुकान में अंग्रेजी शराब की अलग कीमत है। जिससे शराबियों की मौज हो गई है। छिंदवाड़ा शहर में ही बस स्टैंड, परतला, पदम कंपलेक्स, सोनाखार, फवारा चौक, और इमलीखेड़ा शराब दुकानों में एक ही ब्रांड की शराब की अलग-अलग कीमतें देखने को मिल जायेंगी। कहीं एक नियत ब्रांड की शराब की बोतल 800 रुपए की मिल रही है। तो वही बोतल कहीं 700 रुपए में भी मिल रही है। जबकि इस बोतल की कीमत 1380 रुपए है। और यही बॉटल इन पांच ग्रुपों में ही कोई ठेकेदार हजार रुपए में भी बेच रहा है। यह हाल शहर के अंदर के हैं जहां आबकारी का पूरा अमला बैठा हुआ है। उसके बाद भी शराब के अंडर रेट को कंट्रोल नहीं किया जा रहा है और सस्ती शराब बेचकर शराबियों की मौज हो रही है।
पहला एपिसोड…अविनाश सिंह
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