2022के बाद की 43 कॉलोनी के खिलाफ चल रही करवाई
कई नई अवैध कॉलोनी भी बनी, जिनकी जांच शुरू हुई
छिंदवाड़ा। भू माफिया और अवैध कालोनियां अब नगर निगम के रडार पर हैं। नगर निगम ने पिछले 15 दिनों में 7 अवैध कॉलोनीयों के मालिक और कॉलोनाइजर के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करा दी है। यह सिलसिला लगातार जारी है। और आगे लगभग 43 कॉलोनी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज करने की कार्रवाई चल रही है। नगर निगम ने पिछले 15 दिनों के दौरान 7 अवैध कॉलोनीयों के खिलाफ कार्रवाई की है। 43 कॉलोनीयों को अवैध घोषित करने के बाद पिछले पिछले लगभग 2 सालों से मामला अटका हुआ था। जिसमें अब तेजी आ गई है। 7 अवैध कॉलोनी के मालिक और कॉलोनाइजर के खिलाफ एफ आई आर से एक बार फिर उम्मीद जगी है कि छिंदवाड़ा शहर भू माफिया के अतिक्रमण से मुक्त हो सकेगा। हालांकि यह इतना आसान भी नजर नहीं आ रहा है। अवैध कॉलोनी के मालिक और कॉलोनाइजर हर हथकंडा अपना रहे हैं। 2022 के बाद चिन्हित की गई 43 कालोनियां की एफ आई आर पाइप लाइन में है। लेकिन ऐसी और भी कई कालोनियां पिछले दो सालों में बन गई है जिसमें लोगों को बेवकूफ बनाकर जमीनों की मोटी रकम वसूली गई है।
डायवर्सन के बाद प्लाटिंग, रोड का पता न नाली का
छिंदवाड़ा शहर अवैध कॉलोनी का गढ़ बन गया है। यहां भू माफिया इतना सक्रिय है कि रिंग रोड क्षेत्र में भी केवल डायवर्सन करके कालोनियां काट दी गई है। इन कॉलोनी में ना रोड है ना नाली यहां तक की बिजली की सुविधा तक नहीं है। उसके बाद भी लोग प्लॉट खरीद के मकान बना रहे हैं। इसका कारण यह है कि जहां लोगों को शहर में 1500 से 3000 रुपए वर्ग फुट के बीच प्लाट मिलता है। वही शहर से दूर 500 से 1000 रुपए वर्गफुट तक प्लाट उपलब्ध हो जाता है। जबकि उन प्लांट की कीमत 200 रुपए वर्ग फुट से ज्यादा नहीं है। कवर्ड कॉलोनी के नाम पर केवल एक गेट बनाकर भूमाफिया प्लांट और मकान बेच रहा है। वर्तमान में केवल 43 कॉलोनी के खिलाफ कार्रवाई चल रही है। लेकिन ऐसी 100 से ज्यादा कॉलोनी छिंदवाड़ा शहर और रिंग रोड के आसपास बन गई है। जो की पूरी तरह से अवैध है और लोगों से 50 रुपए वर्ग फुट के प्लाट की कीमत 500 से 1000 रुपए वसूली गई है।
टीएनसीपी की भूमिका संदिग्ध, कैसे दे रहे अनुमति ?
अवैध कॉलोनी के मामले में सबसे बड़ी भूमिका टीएनसीपी की है। दरअसल शहर में ऐसी कई कालोनियां है जिन्हें टीएनसीपी से अनुमति दी गई है। जबकि यह अनुमति पूरी तरह से अवैध है। कई ऐसी कॉलोनी है जिन्हें अनुमति मिलना ही नहीं था । उसके बाद भी टीएनसीपी ने अनुमति दी और बाकायदा भू माफिया ने कॉलोनी काटकर सस्ते प्लाटों को महंगी कीमत में बेचा। आखिर टीएनसीपी किस आधार पर अनुमति जारी कर रहा है। यह बात बताने वाला भी कार्यालय में कोई नहीं है। इस कार्यालय के हाल ऐसे हैं कि यहां आरटीआई का आवेदन लगने के बाद बाबू यह कहकर एक लेटर जारी कर देते हैं की अभी फाइल मिली नहीं है। जब मिलेगी तो जानकारी उपलब्ध करा दी जाएगी। लगभग हर भू माफिया टीएनसीपी के कार्यालय में देखा जा सकता है। शहर में जो कालोनियां वैध है उनमें भी अवैध रूप से अनुमति देने के कई मामले है। जिसमें शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया गया है।
अपना शहर…अविनाश सिंह
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